Last Updated: Thursday, November 24, 2011, 05:57
नई दिल्ली : देश में पिछले दिनों सूचना का अधिकार कानून के लिए काम करने वाले कुछ कार्यकर्ताओं की मौत की बात स्वीकार करते हुए केन्द्र ने गुरुवार को कहा कि ऐसे कार्यकर्ताओं को सुरक्षा मुहैया कराना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।
कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने ए इलावरासन के सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में कुछ व्यक्तियों की भूमिका के कारण पिछले दो वर्ष के दौरान उन पर कथित रूप से हमले किए गए हैं। कुछ व्यक्ति जिनकी इस प्रकार कथित हत्या की गई उनमें रामदास पति घाडगासोनकर बाबू सिंह अमित जेठवा दत्ता पाटील विट्ठल गीते सोला रंगा राव अरूण सावंत शेहला मसूद और नदीम सईद शामिल हैं।
नारायणसामी ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए अलग से किसी नीति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मौजूदा कानूनों जैसे भारतीय दण्ड संहिता दण्ड प्रक्रिया संहिता आदि का ढांचा आरटीआई कार्यकर्ताओं सहित सभी नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त समझा जाता है। इसके अतिरिक्त आरटीआई कार्यकर्ताओं को प्रस्तावित लोक हित प्रकटन और प्रकटन करने वाले व्यक्तियों की संरक्षा विधेयक 2010 के अंतर्गत सुरक्षा भी प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। केन्द्र ने उन लोगों के उत्पीडन के बारे में मीडिया में आने वाली रिपोर्ट की ओर राज्य सरकारों का ध्यान आकृष्ट किया है जो प्रशासन में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का पर्दाफाश करने में आरटीआई का प्रयोग करते हैं। राज्यों से अनुरोध किया गया है कि यदि ऐसा कोई मामला आता है तो तुरन्त जांच कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, November 24, 2011, 19:50