Last Updated: Friday, September 27, 2013, 15:29

नई दिल्ली : राजनीतिक दलों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर सजग प्रतिक्रिया व्यक्त की जिसमें उसने कहा कि नागरिकों को चुनाव में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों को खारिज करने का अधिकार है। माकपा ने कहा कि इस फैसले ने असमान्य स्थिति पैदा कर दी है जिसे दुरूस्त किये जाने की जरूरत है।
कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने कहा कि इस फैसले का अध्ययन किये जाने की जरूरत है ताकि यह देखा जा सके कि शीर्ष अदालत ‘नहीं’ करने वाले मतों की सम्पूर्ण संख्या जैसे सभी आयामों पर विचार किया है या नहीं। इस बारे में तत्काल प्रतिक्रिया देना जल्दबाजी होगी। कांग्रेस के एक अन्य नेता राशिद अल्वी ने महसूस करते हैं कि इस फैसले पर अमल कठिन होगा और यह कई समस्याएं पैदा करेगा।
भाजपा उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हम चुनाव सुधार के पक्ष में है। 25-30 साल पहले पांच वर्ष में एक बार चुनाव होते थे लेकिन आज हर चार महीने में किसी न किसी राज्य में चुनाव होते हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना कि यह निर्णय सही है या गलत है। अभी यह जल्दबाजी होगी। फैसले का अध्ययन करने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
माकपा नेता सीताराम येचूरी ने हालांकि फैसले का विरोध करते हुए कहा कि यह असमान्य स्थिति है जिसे दुरूस्त किये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमारे संसदीय लोकतंत्र में चुनाव की प्रत्यक्ष भूमिका होती है। चुनाव में न तो चुनाव आयोग और न ही न्यायपालिका हिस्सा लेती है। इसमें राजनीतिक दल हिस्सा लेते हैं। इनसे बिना बात किये इस तरह का निर्णय, यह अच्छा संकेत नहीं है।
लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने फैसले का विरोध करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाया है, मैं नहीं समझता कि यह सही है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि मतदाताओं के पास नकारात्मक वोट डाल कर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों को अस्वीकार करने का अधिकार है।
अल्वी ने कहा कि वह अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। यह कई समस्याएं पैदा करेगा। यहां तक की जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर 60 प्रतिशत लोग चुनाव में हिस्सा लेते हैं और अगर इस स्थिति में देश में नकारात्मक वोट डालने के अधिकार पर अमल होता है, तब सरकार का गठन कठिन हो जायेगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 27, 2013, 15:29