Last Updated: Tuesday, April 3, 2012, 13:30
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने मंगलवार को केंद्र को निर्देश दिया कि राष्ट्रपति के समक्ष फैसले के लिए लंबित 18 दया याचिकाओं का ब्यौरा दिया जाए, जिनमें संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरु की दया याचिका भी है। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने जानेमाने वकील राम जेठमलानी से इस बारे में लिखित जानकारी देने को कहा कि ‘क्या राष्ट्रपति को दया याचिकाओं पर फैसला लेते समय तटस्थ भाव से सोचना चाहिए।
शीर्ष न्यायालय का मानना है कि सरकार की भूमिका संभवत: सलाहकार की है और अंतिम फैसला राष्ट्रपति का होता है। अदालत ने देवेंदर पाल सिंह भुल्लर की याचिका पर सुनवाई करते वक्त यह निर्देश दिया, जिसने अपनी दया याचिका पर राष्ट्रपति द्वारा फैसले में देरी को चुनौती दी है। पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल हरेन रावल से मौत की सजा की कतार में शामिल 18 लोगों से संबंधित फाइलों को देने को कहा जिनकी दया याचिकाएं पिछले एक से सात साल से फैसले के लिए लंबित हैं।
भुल्लर की ओर से वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने अदालत से कहा कि 1997 से 2011 के बीच राष्टूपति ने 32 दया याचिकाओं का निपटारा किया , जिनमें से 13 में 10 साल के इंतजार के बाद फैसला किया गया। उन्होंने दलील दी कि 14 अन्य मामले चार से 10 साल की देरी के बाद निपटाये गये वहीं शेष बचे मामलों में एक से चार साल के बीच निर्णय लिया गया।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 3, 2012, 19:00