Last Updated: Wednesday, February 1, 2012, 11:05
नई दिल्ली : सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा में एक नए अनिवार्य प्रश्न पत्र लागू करने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने यूपीएससी से जवाब मांगा है। इस प्रश्न पत्र रिपीट प्रश्नपत्र में परीक्षार्थी की अंग्रेजी के प्रति जानकारी की भी जांच की जाती है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ए के सिकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडला की एक पीठ ने दीनानाथ बत्रा की एक याचिका पर कार्मिक मंत्रालय के साथ ही संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) से 14 मार्च तक अपना रुख पेश करने को कहा है। अपनी याचिका में बत्रा ने कहा है कि नये प्रश्न पत्र से हिंदी या अन्य भाषाओं में अपनी शिक्षा प्राप्त करने वाले बहुतायत भारतीय नागरिक वंचित हो गए।
उनके वकील जगदीप धनखड ने कहा कि 2010 तक सिविल सेवा में बैठने वालों को वाषिर्क प्रारंभिक परीक्षा में दो वष्तुनिष्ठ प्रश्न पत्रों- एक सामान्य ज्ञान का और दूसरा उनके द्वारा चुने गए विषय पर जवाब देना होता था।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में यूपीएससी ने 200 अंक का एप्टीट्यूड टेस्ट पेपर शुरू किया। इसमें 22.50 अंक के अंग्रेजी भाषा क्रांप्रिहेंसन स्किल वर्ग को सभी परीक्षार्थियों के लिए जवाब देना अनिवार्य कर दिया गया।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, February 1, 2012, 21:35