अछूत के लिए `बा` को छोड़ने को तैयार थे बापू

अछूत के लिए `बा` को छोड़ने को तैयार थे बापू

नई दिल्ली : स्वयं स्थापित किये गए आदर्शों के पालन के लिए महात्मा गांधी अपनी पत्नी कस्तूरबा को भी छोड़ने के लिए तैयार हो गए थे। गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति की ओर से आयोजित गांधी कथा में बापू के प्रिय सचिव महादेव देसाई के पुत्र नारायणभाई देसाई ने बताया कि गुजरात के सेवाग्राम आश्रम की स्थापना के बाद इसे सभी आम जन के लिए खोल दिया गया था। उन्होंने बताया कि आश्रम में रहने के लिए बापू ने एक नियमावली तैयारी की थी और आश्रम को नियमावली का पालन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए खोल दिया था।

नारायणभाई ने बताया कि गांधी के आदर्शों से प्रभावित होकर एक मगनलाल नाम के अछूत ने अपने परिवार समेत आश्रम में रहने की इच्छा व्यक्त की। इसके बाद बापू के कहने पर वह सपरिवार सेवाग्राम आश्रम में रहने के लिए आ गया। बापू ने अन्य लोगों की भांति उसे भी आश्रम के लिए पानी भरने के काम पर लगा दिया। गुजरात के सेवाग्राम आश्रम की जमीन के दूसरे हिस्से में उस जमीन के मालिक का निवास था, जिसके बीच में एक कुंआ स्थित था। बापू के निर्देशानुसार मगनलाल नित्य कुंआ से पानी भरता था। बाद में जब जमीन के मालिक को इस बात का पता चला तो उसने अछूत को गाली गलौज की। इस बात से रुष्ट होकर कस्तूरबा ने गांधी से अछूत को आश्रम से निकालने के लिए कहा, लेकिन गांधी ने अपने आदर्शों के पालन के लिए उस अछूत को वहां से निकालने के लिए मना कर दिया।

गांधी ने कस्तूरबा को एक पत्र लिखा और कहा कि यदि वह अछूत के साथ नहीं रहना चाहती हैं, तो वह उनकी बहन के पास राजकोट जा सकती है। उन्होंने बा को लिखे पत्र में कहा कि राजकोट जाने के बाद वह पांच-छह रुपए माहवार खर्च उन्हें भेजते रहेंगे। लेकिन आश्रम के नियमों का पालन करने वाले अछूत को किसी के कहने मात्र से बाहर नहीं निकालेंगे। हालांकि बाद में अछूत मगनलाल ने कस्तूरबा के साथ-साथ जमीन के मालिक का दिल भी जीत लिया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 7, 2012, 22:34

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