Last Updated: Tuesday, December 13, 2011, 17:57
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली: भारतीय संसद पर हमले की 10वीं बरसी के मौके पर ज़ी न्यूज ने उन नायकों को सम्मानित किया, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र के मंदिर (संसद) में कहर बरपाने आए फिदायीनों का डटकर मुकाबला किया और हमले को विफल करते हुए इसे निष्प्रभावी बनाया। इसी दिन, 13 दिसंबर, 2011 को नई दिल्ली में ज़ी न्यूज ने श्रद्धांजलि के तौर पर 'अनन्य सम्मान' का आयोजन किया।
26/11 को हुए मुंबई हमलों की पृष्ठभूमि में साल 2008 में अनन्य सम्मान की शुरुआत की गई। ज़ी न्यूज की ओर से देश के असली नायकों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए यह प्रयास किया गया। इसके जरिए उन उल्लेखनीय प्रयासों को मान्यता देना है, जिन्होंने राष्ट्र की बेहतरी के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अहम योगदान दिया है, लेकिन गुमनामी के छाए में रहे।
इस मौके पर ज़ी न्यूज के सीईओ बरुन दास ने कहा, ‘अनन्य सम्मान जो अब एक परंपरा का रूप ले चुकी है, हर साल मनाया जा रहा है। कंपनी के दर्शन एवं सिद्धांतों के अनुरुप उस हर चीज की प्रशंसा की जाती है जो सकारात्मक एवं समाज में अनुकरणीय है।‘ उन्होंने कहा, ‘ज़ी न्यूज का मानना है कि भारत की सुरक्षा और नागरिकों की बेहतरी काफी हद तक गुमनाम नायकों की वीरता पर निर्भर है। आज के समय में मौजूदा परिदृश्य इतना बेहतर नहीं होता यदि कुछ जांबाजों ने अपनी वीरतापूर्ण कारनामों से इसे अंजाम नहीं दिया होता। और इस बारे में इतिहास के पन्नों में भी कभी पढ़ा नहीं जा सकता।
इस अवसर पर एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन श्री सुभाष चंद्रा ने कहा,‘अक्सर गुमनामी में रहने वाले उन जांबाजों की वीरतापूर्ण कृत्यों के चलते ही हम एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में जीवित हैं।‘ उन्होंने यह भी कहा कि हमारे देश के नायक बापू के उन सिद्धांतों का जीता जागता उदाहरण हैं, जो उन्होंने हमें सिखाया। अनन्य सम्मान के माध्यम से ज़ी न्यूज भारत के विचारों और हमारी भारतीयता को सुरक्षित रखने वाले उन सभी की उपलब्धियों को मनाता है। इसलिए हमें एकजुट होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि हमारे लोकतंत्र को भ्रष्टाचार रूपी कैंसर से खतरा प्रतीत हो रहा है। यह परजीवी काफी जड़ तक फैल गया है और वास्तविक जीडीपी विकास को कम से कम एक फीसदी तक नुकसान पहुंचा रहा है। संभवत: यह एक महत्वपूर्ण कारक है, जो अतीत के गौरव को पुनः प्राप्त करने के हमारे प्रयास में बाधा बन रहा है। इस बुराई से खुद को छुटकारा दिलाना एक कठिन चुनौती है। मुझे विश्वास है-हम इस पर काबू पा लेंगे।
First Published: Wednesday, December 14, 2011, 21:32