Last Updated: Tuesday, December 27, 2011, 11:26
मुंबई : बम्बई हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी जिसमें अन्ना हजारे के अनशन को अवैध घोषित करने की मांग की गई है।
याचिका पर सुनवाई बुधवार तक के लिए टालते हुए अदालत ने कहा कि आंदोलन प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और विरोध प्रदर्शन कर रहे लोग कानून तोड़ने के नतीजों से भलीभांति वाकिफ हैं।
न्यायमूर्ति गिरीश गोडबोले और न्यायमूर्ति एमएल टाहलियानी की अवकाश पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता मंगलेश्वर त्रिपाठी द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, आंदोलन प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। याचिका में मांग की गई है कि 74 वर्षीय गांधीवादी द्वारा यहां के एमएमआरडीए मैदान में किए जा रहे अनशन को अवैध एवं असंवैधानिक घोषित किया जाए।
त्रिपाठी के वकील ने अदालत से कहा कि अनशन और जेल भरो आंदोलन के तौर तरीके अवैध हैं और वह सरकार पर अनावश्यक दबाव बना रहे हैं । वकील ने यह भी उल्लेख किया कि हजारे अस्वस्थ हैं और उन्हें अनशन नहीं करना चाहिए। अदालत ने कहा, अन्ना को उनके स्वास्थ्य के बारे में खुद चिंता करने दीजिए। इसने कहा कि हजारे और उनके समर्थक कानून तोड़ने के परिणामों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
अदालत ने याचिकाकर्ता द्वारा देर से याचिका दायर किए जाने पर भी सवाल उठाया। पीठ ने कहा, आंदोलन की घोषणा काफी पहले हो गई थी। अब आप इस समय इसका विरोध क्यों कर रहे हैं जब अनशन शुरू हो गया है? याचिका में अन्ना और उनके समर्थकों को यह निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया है कि वे कानून नहीं तोड़ें और आंदोलन को राजनीतिक मुद्दे में नहीं बदलें। इसमें हजारे को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह किसी राजनीतिक दल के खिलाफ कोई बयान नहीं दें।
इसमें दावा किया गया है, यदि इस तरह की गतिविधियों को होने दिया जाता है और इन्हें प्रोत्साहित किया जाता है तो हमारे देश का लोकतंत्र तार-तार हो जाएगा और पूरी तरह अफरातफरी तथा अराजकता फैल जाएगी। यह गलत है कि चुनावी जनादेश नहीं रखने वाले लोगों के किसी समूह को सरकार तथा निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके मन के किसी कानून के संस्करण को स्वीकार करने के लिए बाध्य करने दिया जाए। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 27, 2011, 17:55