Last Updated: Sunday, October 2, 2011, 15:23
नई दिल्ली : 2जी घोटाले में रिलायंस एडीएजी के चेयरमैन अनिल अंबानी की भूमिका की जांच कर रही सीबीआई ने रविवार को उन्हें क्लीन चिट दे दी। सीबीआई की ओर से यह क्लीनचिट विभिन्न कंपनियों के गठन और स्वान टेलीकॉम (जिसे स्पेक्ट्रम लाइसेंस मिला) को धन हस्तांतरण के मामले में दी गई है.
जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट में 29 सितंबर को दायर अपनी स्टेसस रिपोर्ट में कहा है कि मामले की जांच के दौरान ऐसा कोई मौखिक या दस्तावेजी सबूत नहीं मिला, जिससे अनिल अंबानी की विभिन्न कंपनियों के गठन और धन के हस्तांतरण में कोई भूमिका साबित हो सके। सीबीआई ने यह रिपोर्ट याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण की ओर से प्रस्तुत उस नोट के जवाब में दाखिल किया, जिसमें याची ने जांच की निष्पक्ष प्रकृति एवं स्पष्टता के बारे में एक गलत धारणा बनाने की मंशा जाहिर की थी। अन्य बातों के अलावा, भूषण ने आरोप लगाया था कि यह समझ से बाहर है कि स्वान की वास्तविक मालिकाने को छिपाने के लिए तीन कर्मचारियों की ओर से बड़े स्तर पर कंपनी का गठन किया गया और बोर्ड के चेयरमेन के अनुमोदन के बिना कंपनी का 1000 करोड़ रुपया भी ले लिया।
सीबीआई ने कहा कि यूनिवर्सल एक्सेस सर्विस (यूएएस) लाइसेंस के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) में आवेदन दाखिल करने के समय मेसर्स स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के शेयर धारकों में मेसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड (91.1 प्रतिशत) और मेसर्स रिलायंस टेलीकॉम लिमिटेड (9.1 प्रतिशत) भी शामिल था।
शेयरधारक मेसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड में दो कंपनियां शामिल थी, ये दोनों कंपनियां हैं मेसर्स ज़ेबरा कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स पैरेोट कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड। इन तीनों कंपनियां का एक-दूसरे में इंटर लाकिंग संरचना के तहत शेयर था। मेसर्स स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड की इक्विटी में मेसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया गया निवेश अंततः मेसर्स एडीएई वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड से लिया गया था। 2 मार्च, 2007 को मेसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड ने मेसर्स स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड की इक्विटी में 95.50 करोड़ रुपया और निवेश किया। ये सारा निवेश मेसर्स सोनाटा इन्वेस्टमेंट लिमिटेड की ओर से करवाया गया था। सीबीआई ने यह भी कहा कि मेसर्स एएए कंसल्टेंसी सर्विसेज से की ओर से मेसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड में कुछ अन्य मामूली रकम भी हस्तांतरित किया गया था।
जांच एजेंसी ने कहा कि अंबानी और उनकी पत्नी टीना ही मूलत: मेसर्स एएए कंसल्टेंसी और मेसर्स अदार वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के वास्तविक प्रवर्तक थे। हालांकि, अंबानी और उनकी पत्नी ने मार्च – अप्रैल, 2006 के दौरान इन कंपनियों की शेयर हिस्सेदारी मेसर्स टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स जेबरा कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स पैरोट कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित कर दिया था। यह हस्तांतरण 13 यूएएस लाइसेंस के लिए स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दूरसंचार विभाग को किए गए आवेदन के एक वर्ष पहले ही कर दिया गया था। इस अवधि के दौरान जब स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड ने यूएएस लाइसेंस के लिए आवदेन दिया और कई कंपनियों से टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड को धन का हस्तांतरण किया गया, उस समय अंबानी और उनकी पत्नी इन कंपनियों में न तो शेयरधारक थे और न ही इन कंपनियों के प्रबंधन के साथ जुड़े थे।
सीबीआई न अपनी स्टेटस रिपोर्ट में यह भी कहा है कि, जांच से पता चला है कि इस मामले में उन्होंने कोई बैंक चेक, आरटीजीएस सलाह, स्थानान्तरण अनुरोध आदि नहीं जारी किया है। टाइगर ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड को किए गए 95.51 करोड़ रुपये के भुगतान में दस करोड़ व उससे कम के दस अलग-अलग एडवाइसेज से किए गए थे। इन एडवाइसेज पर अभियुक्त गौतम दोषी और हरि नायर ने हस्ताक्षर किए थे और ये इस केस से जुड़े अभिलेखों का हिस्सा हैं।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, October 2, 2011, 21:15