Last Updated: Monday, September 19, 2011, 04:06
नई दिल्ली. संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरू को यह अभी तक समझ नहीं आया है कि 2001 में संसद पर हमले के दौरान कार में रखे गए बम क्यों नहीं फटे.
इस हमले के आरोप में मौत की सजा पा चुके तिहाड़ जेल में बंद अफजल गुरू ने जेल अधीक्षक को बताया था कि उसे भरोसा था कि जिस कार में आईईडी लगाया गया है उसमें विस्फोट होगा. उफजल ने कहा था कि बमों और विस्फोटकों से लदी कार को हमले की पहले रात में पुलिस के सामने इस डर से खड़ा कर दिया कि इसे चोरी किया जा सकता है. आश्चर्य की बात है कि किसी पुलिसकर्मी ने इसकी जांच नहीं की.
अफजल गुरू ने यह भी कहा कि यदि संसद पर दिसंबर 2001 के आतंकवादी हमले में सफलता मिलती तो वह जम्मू कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाकर सरकार के साथ बातचीत करता.
जेल अधीक्षक को बताए गए इस दस्तावेज की शुरुआत हमले की बातों के साथ ही होती है और 13 दिसंबर के हमले की सारी बातें बयां करता है. इसका अंत पुलिस द्वारा अफजल की गिरफ्तारी के साथ होता है. तिहाड़ के अधिकारियों ने यह दस्तावेज पुस्तक के तौर पर प्रकाशित करने की अनुमति नहीं दी है. जिसके अनुसार, 13 दिसंबर 2001 को हमले में इस्तेमाल कार बम फटा नहीं और अफजल गुरू को आज तक इस बात का पता नहीं चला कि इसमें विस्फोट क्यों नहीं हुआ.
यह दस्तावेज मार्च 2009 से दिसंबर 2010 के बीच अफजल गुरू से लंबी बातचीत के बाद तैयार हुआ था. दस्तावेज के एक अध्याय में अफजल के बचपन और उसके पाकिस्तान पहुंचने की भी कहानी लिखी है. वह किस तरह वापस आया और उसे लगा कि उसे इस्तेमाल किया जा रहा है और वह यह सब छोड़कर सामान्य जीवन जीने लगा. अफजल ने एमबीबीएस के पहले साल की पढ़ाई पूरी की. उसने आईईएस परीक्षा की भी तैयारी की थी.
इसमें अफजल के फिर से राष्ट्र विरोधी हरकत की ओर लौटने के कारण भी बताए गए हैं. कहा गया है कि अफजल की पीढ़ियों के पहले उसका परिवार ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखता था जिसने इस्लाम अपनाया था. एक अध्याय अफजल गुरू पर लिखा गया है कि उसने कैसे हमले की साजिश रची.
यह दस्तावेज जेल अधीक्षक मनोज द्विवेदी द्वारा लिखी गई है. आगे इसमें बताया गया है कि किस तरह संसद का मुआयना करने के लिए अफजल उन लोगों के दिल्ली में रहने का बंदोबस्त किया और पूरे हमले की साजिश रची.
First Published: Monday, September 19, 2011, 09:37