अब 11 लाख रूपए का होगा ज्ञानपीठ पुरस्कार

अब 11 लाख रूपए का होगा ज्ञानपीठ पुरस्कार

नई दिल्ली : देश के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार के रूप में दी जाने वाली राशि को सात लाख रूपये से बढ़ाकर 11 लाख रूपये कर दिया गया है। ज्ञानपीठ के निदेशक रवीन्द्र कालिया ने बताया कि भारतीय ज्ञानपीठ की स्थापना वर्ष 1944 में हुई थी और 1965 में ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरूआत हुई थी। प्रथम पुरस्कार गोविन्द शंकर कुरूप की मलयालय कृति ‘ओटक्कुषल’ को दिया गया था, जिसकी पुरस्कार राशि एक लाख रूपये थी।

उन्होंने बताया कि पुरस्कार राशि बढ़ते-बढ़ते पांच लाख रूपये और सात लाख रूपये हो गयी। 46 वां ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड लेखक चंद्रशेखर कंबर को बेलगाम में प्रदान करते वक्त अपने संबोधन में ज्ञानपीठ के प्रबंध ट्रस्टी आलोक जैन ने घोषणा की कि अगले साल से इस पुरस्कार की राशि 11 लाख रुपये होगी और टाई होने की स्थिति में पहले की तरह पुरस्कार की राशि को आधा-आधा नहीं किया जायेगा, बल्कि दोनों पुरस्कृत लेखकों को पूरी-पूरी राशि प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया कि हिन्दी के लिए पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1968 में सुमित्रानंदन पंत की कृति ‘चिदम्बरा’ के लिए प्रदान किया गया था। 1982 के 18 वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से यह सम्मान लेखक के संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा। कालिया ने कहा कि भारतीय भाषाओं के लिए दिया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार अब संभवत: सबसे अधिक राशि का प्रतिष्ठित साहित्य पुरस्कार हो गया है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, October 14, 2012, 16:03

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