Last Updated: Saturday, June 16, 2012, 10:16

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्लीय/कोलकाता : यूपीए के उम्मीदवार का विरोध करने की तृणमूल कांग्रेस की रणनीति ने अब उसके कांग्रेस नीत गठबंधन में बने रहने पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस का यूपीएम में बने रहना उसके इस अड़ियल रुख के चलते अधर में लटक गया है कि एपीजे अब्दुल कलाम ही राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी के उम्मीदवार होंगे जबकि यूपीए ने प्रणब मुखर्जी को अपना उम्मीदवार चुना है।
ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्यूमंत्री ममता बनर्जी का अगल कदम क्या् होगा। क्या वह यूपीए के उम्मीदवार को स्वीकार करेंगी या फिर कुछ और रणनीति अपनाएंगी। प्रणब की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद देर रात उन्होंने कहा कि खेल अभी खत्मर नहीं हुआ है, थोड़ा इंतजार करें। हालांकि इस बीच कांग्रेस ने ममता को मनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कल कहा कि वह स्वयं संप्रग नहीं छोड़ेंगी और इसका निर्णय कांग्रेस को करना है। प्रेक्षकों का मानना है कि यदि उन्होंने मुखर्जी का विरोध जारी रखा तो उनकी पार्टी का गठबंधन में बने रहना मुश्किल हो जाएगा। इसके बावजूद ऐसा लगता है कि कांग्रेस बातचीत के जरिये समाधान निकालने की पक्षधर है क्योंकि पार्टी के पश्चिम बंगाल मामलों के प्रभारी शकील अहमद ने कहा है कि कोई भी निर्णय जल्दबाजी में नहीं लिया जाएगा।
उन्होंने यह बात तब कहीं जब उनका ध्यान प्रदेश इकाई की ओर से की गई उस मांग की ओर दिलाया गया कि ममता के साथ संबंध समाप्त कर लिये जाने चाहिए।
अहमद को अभी भी इस बात की आशा है कि ममता राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में मुखर्जी को समर्थन का नेतृत्व करेंगी जो कि राज्य में पार्टी के पुरोधा हैं। ममता की पार्टी संप्रग के लिए सबसे अधिक मुश्किलें खड़ी करने वाला सहयोगी दल रहा है। तृणमूल ने खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, पेंशन विधेयक और रेल यात्री किराये में बढ़ोतरी करने जैसे सुधारवादी कदमों का विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस पश्चिम बंगाल में मिलकर सरकार चला रही है राज्य में दोनों पार्टियों के संबंधों में तनाव है।
First Published: Saturday, June 16, 2012, 10:16