अबू सलेम की याचिका पर SC कल सुनाएगा फैसला

अबू सलेम की याचिका पर SC कल सुनाएगा फैसला

अबू सलेम की याचिका पर SC कल सुनाएगा फैसलानई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय गैंगस्टर अबू सलेम की उस याचिका पर कल फैसला सुनायेगा जिसमें उसने पुर्तगाल की अदालत के निर्णय के आधार पर अपने खिलाफ चल रहे विभिन्न मुकदमों की कार्यवाही निरस्त करने का अनुरोध किया है। पुर्तगाल की अदालत ने अबू सलेम के भारत में प्रत्यर्पण की शर्तो का ‘उल्लंघन’ करने के आधार पर उसका प्रत्यर्पण निरस्त कर दिया था। प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नौ जुलाई को अबू सलेम की अपील पर सुनवाई पूरी करते हुये कहा था कि सीबीआई की दलीलों पर विचार के बाद ही कोई आदेश दिया जायेगा।

सीबीआई ने कहा था कि पुर्तगाल सरकार के प्रति प्रत्यर्पण की शर्तो के मद्देनजर वह 45 वर्षीय सलेम के खिलाफ टाडा और विस्फोट पदार्थ कानून के तहत कुछ आरोप हटाने के लिये तैयार है। प्रत्यर्पण की शर्त के अनुसार सलेम को दोषी पाये जाने की स्थिति में न तो मौत की सजा दी जायेगी और न ही उसे 25 साल से अधिक हिरासत में रखा जायेगा।

अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने कहा था कि सरकार पुर्तगाल की अदालत को दिये गये आश्वासन का पालन करने के प्रति कृतसंकल्प है और उन्होंने निचली अदालत में इस माफिया के खिलाफ लगाये गये अतिरिक्त अभियोग हटाने की न्यायालय से अनुमति मांगी थी। जांच एजेन्सी टाडा कानून की धारा 5 और 6 तथा विस्फोट पदार्थ कानून की धारा 4 (बी) और 5 के तहत तैयार आरोप वापस लेना चाहती है।

उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत के 31 जनवरी के आदेश के खिलाफ सलेम की याचिका पर इस मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगा दी थी। निचली अदालत ने मुकदमा खत्म करने का सलेम का अनुरोध ठुकरा दिया था।

भारतीय प्राधिकारियों द्वारा प्रत्यर्पण की शर्तों का ‘उल्लंघन’ करने के आधार पर प्रत्यर्पण निरस्त करने के निचली अदालत के निर्णय को पुर्तगाल की सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराये जाने के बाद उसने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।

सलेम के प्रत्यर्पण के समय भारत ने पुर्तगाल को आश्वासन दिया था कि उसके खिलाफ ऐसा कोई भी आरोप नहीं लगाया जायेगा जिसमें मृत्यु दंड या 25 साल से अधिक की कैद का प्रावधान हो लेकिन बाद में ऐसे आरोप तैयार कर लगाये गये थे। सलेम इस समय मुंबई की आर्थर जेल में बंद हैं। पुर्तगाल की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसने टाडा अदालत में याचिका दायर करके इस मुकदमे को बंद करने का अनुरोध किया था।

इसके बाद उसने लिस्बन स्थित उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जिसमें नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। लिस्बन की अदालत ने पिछले साल 19 सितंबर को अपने फैसले में कहा था कि भारत द्वारा दिये गये आश्वसन का उल्लंघन हुआ है। सलेम और उसकी महिला मित्र सिने अभिनेत्री मोनिका बेदी को तीन साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद पुर्तगाल द्वारा 11 नवंबर, 2005 को भारत को सौंपा गया था। (एजेंसी)

First Published: Sunday, August 4, 2013, 13:21

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