Last Updated: Sunday, October 28, 2012, 15:01

नई दिल्ली : फिल्मी दुनिया में अपने अभिनय से दर्शकों के बीच गहरी पैठ बनाने वाले अभिनेता चिरंजीवी के लिए राजनीति की राह शुरूआत में बहुत आसान नहीं रही और एक अदद सफलता हासिल करने के लिए उन्हें कुछ महीनों का इंतजार करना पड़ा।
आखिरकार चिरंजीवी को किसी भारतीय फिल्म के हीरो की तरह सफलता मिली और आज हुए कैबिनेट विस्तार में उन्हें राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर जगह दी गयी है। इससे पहले वह करीब दो साल तक राजनीतिक उतार-चढ़ाव देख चुके हैं।
लाखों युवाओं, महिलाओं, बच्चों और बुजुगोर्ं को अपने अभिनय के जादू से मंत्रमुग्ध करते रहे चिरंजीवी ने तेलगू और हिंदी फिल्मों में अपने अंदाज का लोहा समय समय पर मनवाया। रूपहले पर्दे के साथ ही 2008 में 53 साल की उम्र में उन्होंने सियासत के रास्ते पर भी कदम बढ़ाया।
राजनीति में उनकी यात्रा सिनेमा की तरह आसान नहीं रही और सालों तक बॉक्स आफिस पर नाकामी शब्द नहीं जानने वाले इस कलाकार के लिए राजनीति में सफलता का मार्ग कांग्रेस में विलय के बाद ही प्रशस्त हुआ। प्रजा राज्यम पार्टी बनाकर आंध्र प्रदेश के राजनीतिक अखाड़े में उतरे चिंरजीवी एक साल से भी कम समय के भीतर हुए राज्य विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर लड़े लेकिन एक पर ही जीत सके। उनकी पार्टी को 20 से ज्यादा सीटें नहीं मिलीं।
इससे पहले तक लोग कहते थे कि चिरंजीवी ही आंध्र प्रदेश में एन टी रामाराव जैसा जादू बिखेर सकते हैं। एनटीआर ने राजनीति में आने के महज नौ महीने के अंदर मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लिया था। वहीं चिरंजीवी ने राजनीति में आने की घोषणा करके और नयी पार्टी बनाकर अपनी सभा में भीड़ तो बहुत जुटाई लेकिन एनटीआर जैसा जादू नहीं दिखा सके।
राजनीति में अलग थलग दिख रहे चिरंजीवी ने आखिरकार अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया जबकि शुरूआत में कांग्रेस ही उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी थी। फरवरी 2011 से अक्तूबर 2012 तक चिरंजीवी बहुत ज्यादा खबरों में नहीं रहे। इस दौरान सोनिया गांधी के साथ उनकी कुछ मुलाकातें जरूर हुइ’। इस दौरान वह राज्यसभा में उपस्थिति दर्ज कराते रहे। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 28, 2012, 15:01