Last Updated: Saturday, June 22, 2013, 15:54

वाराणसी : उत्तराखण्ड में हुई भीषण त्रासदी से आहत भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि हिमालयी क्षेत्र का विकास मैदानी मॉडल के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए। इसके लिए गहन विवेचन के बाद हिमालय संरक्षण और विकास राष्ट्रीय बोर्ड के गठन की जरूरत है।
लोक लेखा समिति के अध्यक्ष डॉ. जोशी ने वाराणसी में आज अपने आवास पर संक्षिप्त मुलाकात में बताया कि उत्तराखण्ड में प्रलय की स्थिति है। वहां धन और जन की अपूरणीय क्षति हुई है। मृतकों का वास्तविक आंकलन करना संभव नहीं है। हजारों की संख्या में लोग दिवंगत हुए हैं। वहां ऐसी घटनाएं छोटे पैमाने पर कई बार हुई हैं। उन्होंने कहा कि जो अब हुआ है, वह बड़े पैमाने पर एक तरफ प्रकृति का दण्ड है तो मानव निर्मित विनाश दूसरी तरफ है। भाजपा नेता ने कहा कि पहाड़ की ऊंचाइयों पर अनेक दुर्गम स्थलों पर जो कुछ हुआ, उसका अनुमान बहुत बाद में आयेगा। फिलहाल सारे देश का ध्यान राहत और इस क्षेत्र के जीवन को सामान्य बनाने पर है।
जोशी ने कहा कि यह समय दोषारोपण का नहीं वरन सीखने व समझने के साथ-साथ भविष्य के लिए इन घटनाओं की पुनरावृति रोकने का है। उसके लिए एक पुख्ता कार्यक्रम बनाने की जरूरत है। प्रभावित क्षेत्रों में भोजन, वस्त्र और बसेरे की कम से कम अस्थायी व्यवस्था तत्काल की जानी चाहिए। जोशी ने बताया कि अनुसार उन्होंने भाजपा करू राष्ट्रीय अध्यक्ष को सुझाव दिया है कि देशभर में आहूत जेल भरो आंदोलन स्थगित करें और कार्यकर्ताओं के साधन और श्रम को उत्तराखण्ड की सहायता के लिए लगाएं।
उन्होंने भाजपा सांसदों और जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे अपने वेतन का एक माह का भुगतान वहां तत्काल देने की घोषणा करें। जोशी ने केंद्र सरकार से भी अनुरोध किया है कि सांसद निधि से देशभर के सांसदों को उत्तराखंड के लिए वहां के प्रशासन की राय से किसी भी स्थायी निर्माण में अनुदान देने की अनुमति प्रदान की जाये। जोशी ने कहा कि हिमालय राष्ट्र की धरोहर है और इसके लिए योजना आयोग को सबसे पहले आगे आकर आवश्यक धनराशि का प्रबंध करना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 22, 2013, 15:54