अलग रहकर दलों में होते हैं निहित स्वार्थ - Zee News हिंदी

अलग रहकर दलों में होते हैं निहित स्वार्थ



नई दिल्ली : भाकपा महासचिव एबी वर्धन ने अपनी पार्टी के माकपा में विलय की संभावना को नकारे बिना इस बात के पर्याप्त संकेत दिए हैं कि निकट भविष्य में ऐसा नहीं होने जा रहा है। वर्धन ने कहा कि ऐसा इसलिए होगा क्योंकि अलग-अलग रहने पर दलों के बीच ‘निहित स्वार्थ’ विकसित हो जाते हैं।

 

दोनों दलों के बीच विलय की संभावना के बारे में पूछे जाने पर वर्धन ने कहा कि मेरे विचार से अंतत: हम उसी दिशा में आगे बढ़ेंगे। लेकिन अगर दल पृथक हैं तो वे अलग-अलग ही रहते हैं। आप ये भी कह सकते हैं कि अलग होने के चलते उनमें निहित स्वार्थ आ सकता है।

 

वर्धन अगले वर्ष मार्च में पटना में होने वाले पार्टी के सम्मेलन में भाकपा महासचिव पद से हटेंगे। उन्होंने कहा कि वह इस बात से खुश हैं कि भाकपा और माकपा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मुद्दों पर समान धारणा रखती हैं और मिलकर काम करती हैं। उन्होंने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि वाम एकता और कम्युनिस्ट एकता दो अलग-अलग चीजें हैं।

 

जब हम वाम एकता के बारे में कहते हैं तो हमारे मायने व्यापक रूप से उन दलों को लेकर हैं जिनका वामपंथ की ओर झुकाव है। कम्युनिस्ट दलों में मार्क्‍सवादी विचारधारा होती है, जो वामदलों में नहीं होती।

(एजेंसी)

First Published: Monday, November 14, 2011, 15:21

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