Last Updated: Thursday, September 20, 2012, 23:28
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोकोलकाता : केंद्र की मनमोहन सरकार की विश्वसनीयता और नैतिकता पर सवाल खड़े करते हुए तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार देर शाम कहा कि अल्पमत की सरकार को एफडीआई पर अधिसूचना जारी करने का हक नहीं है। सरकार की साख पर सवाल खड़े करते हुए ममता ने कहा कि चूंकि तृणमूल कांग्रेस ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है इसलिए यह सरकार अल्पमत में आ गई है और अल्पमत की सरकार द्वारा किसी भी तरह की अधिसूचना जारी करना लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है। मालूम हो कि केंद्र सरकार में शामिल तृणमूल के मंत्री शुक्रवार सुबह दिल्ली पहुंच रहे हैं जहां वे प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपेंगे।
इससे पहले तृणमूल नेता एवं रेल मंत्री मुकुल रॉय ने कहा कि खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई), डीजल मूल्यवृद्धि और रियायती रसोई गैस की उपलब्धता में कटौती के मुद्दे पर यूपीए से उनकी पार्टी का मतभेद उस बिंदु तक जा पहुंचा है जहां से कदम पीछे नहीं खींचा जा सकता है। उनकी पार्टी के मंत्रियों ने शुक्रवार को अपने इस्तीफे सौंपने के लिए प्रधानमंत्री से अपराह्न तीन बजे का समय मांगा है। हम प्रधानमंत्री कार्यालय से समय मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी यूपीए से समर्थन वापस लेने के अपने रूख पर कायम है।
इस बीच ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र की यूपीए सरकार से समर्थन वापसी का पत्र राष्ट्रपति को सौंपने के लिए उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से शुक्रवार को मुलाकात का समय मांगा है। ममता ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, `हमने पहले ही राष्ट्रपति से समर्थन वापसी का पत्र सौंपने के लिए समय मांगा है। यदि हमें शुक्रवार का समय मिलता है तो हम शुक्रवार को ही पत्र उन्हें सौंप देंगे। लेकिन यदि हमें शुक्रवार का समय नहीं मिलता है तो हम बाद का समय मांगेंगे। हमने शुक्रवार कहा है तो इसका अर्थ शुक्रवार ही है।` ममता ने कहा, `हमने पहले ही निर्णय ले लिया है और इसकी घोषणा कर दी है। शुक्रवार को हमारे केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य अपना इस्तीफा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप देंगे।`
ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्र सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की थी। उन्होंने इस फैसले पर फिर से विचार करने के लिए तीन शर्तें रखी थीं। उन्होंने मांग की है कि संप्रग खुदरा कारोबार में एफडीआई की अनुमति वापस ले, डीजल के मूल्यों में तीन से चार रुपए प्रति लीटर की कमी लाए और प्रति परिवार साल में 24 रसोई गैस सिलेंडर रियायती दर पर उपलब्धता सुनिश्चित करे।
गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थन वापस लेने से 545 सदस्यीय लोकसभा में संप्रग के सदस्यों की संख्या 273 से घटकर 254 रह जाएगी जो आधे से कुछ कम है। ऐसे में संप्रग को समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर निर्भर रहना पड़ेगा। ये दोनों दल संप्रग को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।
First Published: Thursday, September 20, 2012, 23:28