Last Updated: Sunday, June 2, 2013, 12:59
नई दिल्ली : उच्च शिक्षा में अल्पसंख्यक वर्ग के छात्रों की कम हिस्सेदारी पर चिंता व्यक्त करते हुए एक समिति ने देश के अल्पसंख्यक बहुल 90 जिलों में डिग्री कालेज स्थापित करने की वकालत की है जिसके लिए सभी राज्यों को केंद्र से पूर्ण मदद दी जाए।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा निगरानी समिति से जुड़ी स्थायी समिति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘ऐसे प्रत्येक जिले में एक एक कालेज स्थापित किया जाना चाहिए जो विज्ञान, मानविकी और कामर्स के कोर्स पेश करता हो।’’ रिपोर्ट में आंकड़ा एकत्र करने की प्रभावशाली प्रणाली तैयार करने की जरूरत बतायी गई है ताकि देश में अल्पसंख्यक शिक्षा की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी जुटायी जा सके। समिति ने कहा कि अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों के दाखिले का आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
रिपोर्ट में 2007.08 के अध्ययन का उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया है कि अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों की सकल नामांकन दर 8.7 प्रतिशत थी जबकि गैर मुस्लिम छात्रों की सकल नामांकन दर 16.8 प्रतिशत थी। शिक्षा की गुणवत्ता को अल्पसंख्यक शिक्षा के लिए अहम बताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसा में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षकों को बेहतर सुविधाएं दी जानी चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्रोत्साहित करने की योजना के तहत वहां के स्नातक शिक्षकों के वेतन को 6,000 रूपये से बढ़ाकर 8,000 रूपये कर दिया जाए और स्नातकोत्तर शिक्षकों का वेतन 12,000 रूपये से बढाकर 15,000 रूपये किया जाना चाहिए। समिति ने कहा कि राष्ट्रीय ओपन स्कूलिंग इंस्टीट्यूट की ओर से आयोजित की जाने वाली परीक्षा के लिए मदरसा छात्रों से ली जाने फीस को माफ किया जाना चाहिए और उन्हें 1000 रूपये का नकद प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए ताकि अधिक से अधिक छात्र परीक्षा के प्रति आकषिर्त हों।
अल्पसंख्यक वर्ग की लड़कियों में शिक्षा की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए समिति ने सिफारिश की है कि जिन जिलों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी 10 प्रतिशत से अधिक हो, वहां कस्तूरबा बालिका विद्यालय खोले जाएं।
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि जिन जिलों में मुसलमानों का प्रतिशत अधिक हो वहां ब्लाक स्तर पर माडल स्कूल खोलने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। समिति ने इस बात पर खेद व्यक्त किया कि 3,501 बालिक विद्यालय में से केवल 454 में मुस्लिम बच्चों की नामांकन दर 20 प्रतिशत से अधिक है।
समिति ने कहा कि 2500 माडल स्कूलों में से 10 प्रतिशत धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित किए जाने चाहिए। साथ ही 90 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में से प्रत्येक में नवोदय विद्यालय की तर्ज पर दो स्कूल खोले जाने चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 2, 2013, 12:57