Last Updated: Wednesday, November 21, 2012, 14:51

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के आरोप में अधिवक्ता और पूर्व सांसद आर के आनंद की सजा बरकरार रखी है लेकिन उन्हें इसके लिए कैद की सजा देने से इंकार कर दिया। आनंद को 1999 के बहुचर्चित बीएमडब्लू हिट एंड रन मामले में एक गवाह को प्रभावित करने के कारण न्यायालय की अवमानना का दोषी पाया गया था।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आर के आनंद की बिना शर्त क्षमा याचना, एक साल तक गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता देने और कानूनी शिक्षा की सुविधा में सुधार के लिए 21 लाख रुपए उपलब्ध कराने की पेशकश स्वीकार कर ली। न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें जेल भेजने से केाई मकसद पूरा नहीं होगा।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आर के आनंद की याचिका पर यह फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने 1999 के बीएमडब्लू सड़क दुर्घटना कांड के एक गवाह को प्रभावित करने के प्रयास में आनंद को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था।
उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले आर के आनंद को न्यायालय की अवमानना करने के कारण वरिष्ठ अधिवक्ता की पदवी से वंचित कर दिया था। इस हादसे में पूर्व नौसेनाध्यक्ष एस एम नंदा के पौत्र संजीव नंदा ने 10 जनवरी, 1999 की रात में लापरवाही से बीएमडब्लू कार चलाते हुए कई व्यक्तियों को कुचल दिया था।
उच्च न्यायालय ने इस मामले में गवाह को प्रभावित करने के कारण आर के आनंद और एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता आई यू खान को न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया में बाधा डालने का दोषी ठहराते हुए उनके चार महीने तक अदलात में वकालत करने पर रोक लगा दी थी।
उच्चतम न्यायालय ने खान को न्यायालय की अवमानना के जुर्म में सजा देने का निर्णय निरस्त कर दिया था।
आर के आनंद ने हाल ही में न्यायालय में दाखिल हलफनामे में उनकी बिना शर्त माफी स्वीकार करने और अवमानना के आरोप से मुक्त करने तथा उन्हें दिया गया दंड माफ करने का अनुरोध किया था। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 21, 2012, 14:51