‘असम में वोटरों का नाम नहीं कटेगा’

‘असम में वोटरों का नाम नहीं कटेगा’


नई दिल्ली : असम में हिंसा की घटनाओं के बीच केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि धर्म और भाषा के आधार पर राज्य की मतदाता सूची से 40 लाख मतदाताओं के नाम निकालना संभव नहीं होगा क्योंकि ऐसा करना असंवैधानिक होगा।

केंद्र सरकार ने मतदाता सूचियों में 40 लाख गैरकानूनी बांग्लादेशी प्रवासियों के नाम शामिल होने संबंधी गैर सरकारी संगठन असम पब्लिक वर्क्स के आरोपों को नकार दिया है। यह संगठन चाहता है कि संदिग्ध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे जायें और उन्हें तत्काल वापस भेजा जाए।

न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की खंडपीठ के समक्ष गुरूवार को गृह मंत्रालय द्वारा दािखल हलफनामे में केन्द्र ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि वह राज्य से गैरकानूनी प्रवासियों का पता लगाकर उन्हें निकाल बाहर करने के लिये कृतसंकल्प है।

न्यायालय ने केन्द्र सरकार के इस हलफनामे को रिकार्ड में शामिल करते हुए गैर सरकारी संगठन की अर्जी पर सुनवाई छह नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। हलफनामे में कहा गया है कि धर्म और भाषा के आधार पर 2006 की मतदाता सूची से संदिग्ध मतदाताओं की पहचान कर उनके नाम हटाने के बारे में गैर सरकारी संगठन का प्रस्तावित तरीका पहली नजर में गैरकानूनी, मनमाना और भारत के धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ढांचे के खिलाफ है। याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इससे संविधान की भावना का उल्लंघन होता है।

हलफनामे के अनुसार देश में गैरकानूनी प्रवासियों पर अंकुश लगाना उसकी प्राथमिकता है क्योंकि यह सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक ताने बाने के लिए गंभीर खतरा है। भारत में रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों का पता लगाकर उन्हें वापस भेजने के बारे में सरकार समय समय पर सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश देती रहती है। (एजेंसी)

First Published: Friday, August 10, 2012, 19:19

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