Last Updated: Thursday, November 29, 2012, 17:48
नई दिल्ली : फेसबुक पर कथित आपत्तिजनक संदेश लिखने के आरोप में हाल ही में कई व्यक्तियों की गिरफ्तारी से चिंतित उच्चतम न्यायालय ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून में संशोधन के लिए दायर याचिका के निबटारे में अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती की मदद मांगी है।
प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली की छात्रा श्रेया सिंघल की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को अटार्नी जनरल से कहा कि वह इस प्रकरण के निबटारे में न्यायालय की मदद करें। लेकिन न्यायाधीशों ने याचिका पर सुनवाई के दौरान फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इस प्रकार के संदेश लिखने वालों के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई नहीं करने का सरकार को निर्देश देने से इंकार कर दिया।
इस याचिका पर अब कल आगे सुनवाई होगी। इससे पहले, सुबह प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली की छात्रा श्रेया सिंघवल की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त करते हुए कहा था कि हाल की घटनाओं के संदर्भ में वह स्वत: ही इस मामले का संज्ञान लेने पर विचार कर रही थी। न्यायाधीशों ने इस बात पर अचरज व्यक्त किया था कि अभी तक सूचना प्रौद्योगिकी कानून के इस प्रावधान को किसी ने चुनौती क्यों नहीं दी। श्रेया ने दलील दी है कि कानून की धारा 66ए की शब्द रचना बहुत व्यापक और अस्पष्ट है और यह उद्देश्य का मानक निर्धारण करने में अक्षम है। याचिका में कहा गया है कि इस वजह से चूंकि इसका दुरुपयोग हो सकता है और इसीलिए यह संविधान के अनुच्छेद के अनुरुप नहीं है। श्रेया ने याचिका में कहा है कि बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के संबंध में आपराधिक कानून पर अमल से पहले इसके लिए न्यायिक मंजूरी की अनिवार्यता के बगैर अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने के लिए इसका दुरुपयोग हो सकता है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 29, 2012, 17:48