आईबी,रॉ को संसद के प्रति जवाबदेह बनाने पर केन्द्र को नोटिस-SC notice on plea for scrutiny of intelligence agencies

आईबी,रॉ को संसद के प्रति जवाबदेह बनाने पर केन्द्र को नोटिस

आईबी,रॉ को संसद के प्रति जवाबदेह बनाने पर केन्द्र को नोटिसनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने देश की खुफिया एजेन्सी गुप्तचर ब्यूरो, रॉ और एनटीआरओ को संसद के प्रति जवाबदेह बनाने के लिये दायर याचिका पर केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया।

प्रधान न्यायाधीश अलतमस कबीर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गैरसरकारी संगठन सेन्टर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटीगेशंस की जनहित याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केन्द्र के साथ ही इन तीन खुफिया एजेन्सियों से भी जवाब तलब किये। इन सभी को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने हैं। न्यायालय ने अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती से इस मामले में मदद करने का आग्रह किया है।

गैर सरकारी संगठन ने न्यायालय से आग्रह किया है कि विदेशों की तरह ही भारत में रॉ, गुप्तचर ब्यूरो और एनटीआरओ के वित्तीय कामकाज की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक जैसी संस्था से ऑडिट कराया जाये।

इस संगठन का आरोप है कि चूंकि राजनीतिक हितों की खातिर इन खुफिया एजेन्सियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, इसलिए इन्हें संसद के प्रति जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान और वकील प्रशांत भूषण ने एक फरवरी को न्यायालय में तर्क दिया था कि भारत एकमात्र ऐसा लोकतांत्रिक देश है जिसकी खुफिया एजेन्सियों की कानून की नजर में कोई वैधता नहीं है और वे देश की जनता या संसद के प्रति जवाबदेह नहीं हैं।

न्यायालय ने उस दिन स्पष्ट किया था कि यह नीतिगत मसला है जिसके बारे में केन्द्र को ही निर्णय करना होगा लेकिन दीवान और भूषण के तर्क सुनने के बाद न्यायालय इस पर विचार के लिये सहमत हो गया था। अनिल दीवान और भूषण का कहना था कि पहले भी नीतिगत मामलों में न्यायालय ने निर्देश दिये हैं।

याचिका में कहा गया है कि इन संगठनों के पूर्व प्रमुखों की किताबों में इनमें कैसे धन का दुरुपयोग होता है और किसी तरह से राजनीतिक हितों की खातिर एजेन्सियों का दुरुपयोग किया जाता है। याचिका के अनुसार इन एजेन्सियों को देश के समेकित कोष से हजारों करोड़ रुपए दिये जाते हैं, इसलिए इसका हिसाब किताब जरूरी है। (एजेंसी)

First Published: Monday, February 11, 2013, 15:00

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