Last Updated: Wednesday, February 22, 2012, 07:13
ज़ी न्यूज ब्यूरोनई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के चुनावी संग्राम में यह सवाल जोर-शोर से उठने लगा है कि कांग्रेस का मुकाबला किसी राजनीति दल मसलन सपा, बसपा या भाजपा से नहीं, बल्कि चुनाव आयोग से है। हाल में एक के बाद एक आचार संहिता के उल्लंघन के मामले कुछ ऐसा ही बयां कह रहे हैं। मालूम हो कि मंत्रियों के समूह की एक बैठक आज नई दिल्ली में हो रही है जिसमें इसपर चर्चा होने की संभावना है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जीओएम बैठक से जुड़े एक दस्तावेज में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मंत्री समूह का ये भी विचार है कि आचार संहिता किसी भी विकास परियोजनाओं को रोकने के रास्ते में सबसे बड़ा बाधक है, इसलिए कानून मंत्री के आग्रह पर वह इस मुद्दे पर विचार को तैयार है। यह भी सुझाव दिया गया कि कानून विभाग उन पहलुओं को भी देखे जहां चुनाव आयोग के अधिशासी आदेशों को वैधानिक शक्ल दिए जाने की जरूरत है।
सलमान खुर्शीद ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि चुनाव सुधारों पर बने मंत्री समूह के एजेंडे में इस आशय का कोई प्रस्ताव नहीं है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि आदर्श चुनाव आचार संहिता को चुनाव आयोग के दायरे से वापस लेने का सवाल ही नहीं है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल ने भी कहा कि केंद्र सरकार आचार संहिता के उल्लंघन पर कार्रवाई का अधिकार निर्वाचन आयोग से लेने के मामले में कोई विचार नहीं कर रही है।
आचार संहिता को वैधानिक रूप देने की सरकार की कोशिश पर चुनाव आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी का कहना है कि अगर यह सही है तो ये गलत कदम है। सरकार की यह पहल चुनाव आयोग की ताकतों को कम करेगा। चुनाव आचार संहिता पिछले 20 साल से सभी इम्तिहानों पर खरी उतरी है। चुनाव आचार संहिता को वैधानिक शक्ल देने की कोशिश चुनाव आयोग की ताकत कम करने की कोशिश है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि आदर्श चुनाव संहिता को कानूनी जामा पहनाकर कांग्रेस उसका अधिकार न्यायपालिका को देने की कोशिश कर रही है। यह चुनाव आयोग के अधिकारों का अतिक्रमण और उसे दंतहीन बनाने की साजिश है।
First Published: Wednesday, February 22, 2012, 18:20