आडवाणी ने की अनुच्छेद-370 हटाने की वकालत

आडवाणी ने की अनुच्छेद-370 हटाने की वकालत

आडवाणी ने की अनुच्छेद-370 हटाने की वकालत नई दिल्ली : भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने की वकालत करते हुए रविवार को कहा कि इससे जम्मू कश्मीर के पूरी तरह भारत में शामिल होने में मदद मिलेगी।

आडवाणी ने भाजपा के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 60वीं पुण्यतिथि के मौके पर अपने ब्लॉग में लिखा, ‘यह देश उत्सुकता से उस दिन का इंतजार कर रहा है जब अनुच्छेद-370 को हटाया जाएगा और दो विधान एक हो जाएंगे।’
अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को विशेष संवैधानिक दर्जा देता है और इसे हटाना भाजपा की मांगों में हमेशा से शामिल रहा है। पार्टी ने और अधिक सहयोगी दलों को अपने साथ शामिल करने के लिए इस मांग को जरूर ठंडे बस्ते में डाल रखा था।

‘इंडिपेंडेंट इंडियाज फर्स्ट मार्टियर फॉर नेशनल इंटीग्रेशन’ शीषर्क से अपने ब्लॉग में भाजपा नेता ने लिखा है कि विवादास्पद परिस्थितियों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत के बाद सिलसिलेवार घटनाक्रम शुरू हुए जिनसे राष्ट्रीय एकीकरण की प्रक्रिया को बल मिला।

मुखर्जी ने 1953 में जनसंघ के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में नारा दिया था, ‘एक देश में दो प्रधान, दो निशान, दो विधान, नहीं चलेंगे, नहीं चलेंगे।’

जम्मू कश्मीर पुलिस ने उन्हें बिना परमिट के राज्य में प्रवेश करने पर गिरफ्तार कर लिया था और बाद में श्रीनगर में हिरासत में खराब सेहत के कारण उनका निधन हो गया। हालांकि इस दावे को मुखर्जी के समर्थक खारिज करते हुए उनकी मौत के पीछे साजिश बताते हैं।

आडवाणी ने कहा कि मुखर्जी के निधन से पहले तक जम्मू कश्मीर ना तो उच्चतम न्यायालय, चुनाव आयोग के दायरे में आता था और ना ही नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अधिकार क्षेत्र में आता था। उन्होंने लिखा, ‘डॉ मुखर्जी के बलिदान से इस हालात में बदलाव आया। शेख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने, सदर-ए-रियासत राज्यपाल बने और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री के औपचारिक अधिकार क्षेत्र को जम्मू कश्मीर तक बढ़ाया गया।’

मुखर्जी के निधन के मामले में कोई औपचारिक जांच नहीं होने की ओर इशारा करते हुए भाजपा नेता ने ब्लॉग में लिखा, ‘इस असाधारण व्यक्ति की मौत आज तक रहस्य बनी हुई है।’ उन्होंने कहा, ‘ऐसे ही अन्य हालात में हमेशा औपचारिक जांच की गयी लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। कोई नहीं कह सकता कि यह केवल आपराधिक असंवेदनशीलता थी या वाकई अपराध की भावना थी।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, June 23, 2013, 19:34

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