आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को राहत| Jayalalithaa

आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को राहत

आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को राहत नई दिल्ली : अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले से विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) जी भवानी सिंह को हटाने का कर्नाटक सरकार का फैसला सोमवार को रद्द कर दिया।

कर्नाटक सरकार के फैसले को ‘गलत भावना से लिया गया फैसला’ करार देते हुए न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एस ए बोबड़े की पीठ ने कर्नाटक उच्च न्यायालय और राज्य सरकार से कानून के अनुसार, विशेष सुनवाई न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने पर विचार करने के लिए भी कहा।

पीठ ने कहा ‘कार्यकाल में वृद्धि कानून के अनुसार और उच्च न्यायालय के साथ परामर्श से की जा सकती है।’ साथ ही पीठ ने कहा कि निचली अदालत के रिकॉर्ड्स करीब 33,000 पन्नों के हैं और गवाहों के बयान दर्ज करने का काम भी पूरा हो चुका है।

25 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने मामले में एसपीपी सिंह की नियुक्ति और उन्हें हटाने के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। न्यायालय ने सुनवाई न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाने के जयललिता के आग्रह पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई न्यायाधीश आज ही सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

इससे पहले, सुनवाई के दौरान द्रमुक महासचिव के अंबलगन ने जयललिता के आग्रह का विरोध करते हुए कहा था कि वह (जयललिता) और अन्य आरोपी 17 साल पुराने मामले की सुनवाई लंबी खींचने के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार हैं।
कर्नाटक सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल जी ई वाहनवती ने भी एसपीपी और सुनवाई पूरी होने तक विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाए जाने के लिए जयललिता के आग्रह का विरोध किया। पीठ सिंह को एसपीपी के तौर पर नियुक्त करने और बर्खास्त करने के मुद्दे पर विचार कर रही थी।

पीठ ने सवाल किया ‘क्या वहां (कर्नाटक में) वही सरकार है ? सरकार कब बदली?’ अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नई सरकार इस साल 8 मई को बनी लेकिन सिंह की नियुक्ति राज्य सरकार और कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के बीच कोई विचार-विमर्श किए बिना ही की गई।

रिकॉर्ड्स का अध्ययन कर चुकी पीठ ने पाया कि मामले में एसपीपी के पद से बर्खास्त किए गए सिंह की 17 साल पुराने इस मामले की सुनवाई के लिए नियुक्ति को लेकर कर्नाटक सरकार ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी।

न्यायालय ने 20 सितंबर को सिंह की नियुक्ति और कार्यवाही के संचालन से उन्हें हटाने के कारणों का पता लगाने के उद्देश्य से उनकी नियुक्ति और बख्रास्तगी संबंधी विवाद से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स मंगवाने को कहा था।

जयललिता के वकील ने आरोप लगाया था कि सिंह को ऐसे समय पर हटाया गया है जब मामले में आपराधिक प्रक्रिया अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा था कि राजनीतिक कारणों के चलते सिंह को हटाया गया है।

पूर्व महाधिवक्ता बी वी आचार्य के इस्तीफे के बाद एसएसपी के तौर पर भवानी सिंह को नियुक्त किया गया था। आचार्य फरवरी 2005 से अगस्त 2012 तक इस मामले में अभियोजक रहे। (एजेंसी)

First Published: Monday, September 30, 2013, 13:13

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