Last Updated: Friday, October 12, 2012, 12:52

नई दिल्ली: आरटीआई कानून के अर्थहीन और परेशान करने वाले इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि लोगों के जानने के अधिकार से अगर किसी की निजता का हनन होता है तो निश्चित रूप से इसका दायरा निर्धारित होना चाहिए ।
उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार के बीच उचित संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है जो जीने एवं स्वतंत्रता के अधिकार से निकलता है। लोगों के जानने के अधिकार पर निश्चित रूप से लगाम लगनी चाहिए अगर इससे किसी की निजता का हनन होता है । लेकिन कहां तक रेखा खींची जाए, यह जटिल प्रश्न है।
केंद्रीय सूचना आयुक्तों के सातवें सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कानून का निर्थक एवं परेशान करने वाला इस्तेमाल चिंता की बात है जिनके खुलासे से किसी लोक हित की पूर्ति नहीं होती । सिंह ने कहा कि इस तरह के प्रश्नों से मानव संसाधन की भी क्षति होती है जिसका बेहतर इस्तेमाल हो सकता है ।
उन्होंने कहा कि कभी-कभार जो सूचनाएं मांगी जाती हैं वह समय लेने वाली होती हैं और उनमें कई मामले शामिल होते हैं जिसका उद्देश्य अनियमितता या गलती ढूंढना होता है जिसकी आलोचना की जानी चाहिए । सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे निकायों को पूरी तरह आरटीआई कानून के तहत लाने से निजी उद्यमी सार्वजनिक क्षेत्र के साथ भागीदारी करने से बचेंगे जबकि उन्हें पूरी तरह बाहर कर देने से सरकारी अधिकारी जिम्मेदारी से बच निकलेंगे। (एजेंसी)
First Published: Friday, October 12, 2012, 12:52