Last Updated: Sunday, October 16, 2011, 06:09
नयी दिल्ली: सूचना के अधिकार कानून पर छिड़ी बहस के बीच केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने स्पष्ट किया है कि आरटीआई पर पुनर्विचार करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस कानून के कारण सरकार ही नहीं, बल्कि न्यायपालिका को भी परेशानियां हुई हैं।
खुर्शीद ने कहा कि हमें आरटीआई पर गर्व है। हम इस बात से खुश हैं कि हमने देश को आरटीआई दिया। इसकी वजह से देश को कुछ असुविधा हो रही है, लेकिन हम इस असुविधा को सहन करेंगे। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकार के कामकाज की प्रणाली मजबूत हो।
यह पूछे जाने पर कि आरटीआई कानून की समीक्षा हो सकती है, उन्होंने कहा कि इस कानून पर पुनर्विचार करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। खुर्शीद ने कहा कि अभी हम आरटीआई के अनुभव को आत्मसात कर रहे हैं और अब इस अनुभव को देखते हुए, मांगों के मद्देनजर, सहमति बनने के मद्देनजर हम कोई बदलाव कर सकते हैं। इसके बारे में आज मैं कुछ नहीं कर सकता है। कानून मंत्री ने आरटीआई कानून में बुनियादी बदलाव करने की संभावना से इंकार किया है।
यह पूछने पर कि सीबीआई को मिली छूट की तर्ज पर कुछ रियायतें इस कानून में लाई जा सकती हैं, उन्होंने कहा कि कोई कानून संपूर्ण नहीं होता। कानून मंत्री ने कहा कि अगर आप किसी कानून को देखते हैं तो समय-समय पर आपको देखना पड़ता है कि यह कैसे काम कर रहा है। अगर इसे मजबूत करने की जरूरत होती है तो आप इसे गहराई देते हैं। अगर आपको कुछ रियायतें देनी होती हैं तो आप ऐसा भी करते हैं, जैसा सीबीआई के संदर्भ में किया गया है।
हाल ही में आरटीआई के जरिए वित्त मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया वह नोट सामने आया था, जिसमें कहा गया था कि अगर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम नीलामी पर जोर देते तो 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला रुक सकता था। इसे लेकर खासा विवाद खड़ा हुआ था।
खुर्शीद ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका को आरटीआई के जवाब देने में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि आरटीआई का मसौदा तैयार करते समय किसी ने शपथ की ओर ध्यान नहीं दिया। इस संदर्भ में एक कलर्क के जरिए खुलासा हो सकता है, ऐसे में शपथ लेने का क्या मतलब है। हमें शपथ को बदलना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, October 16, 2011, 12:35