Last Updated: Sunday, July 22, 2012, 13:07
नई दिल्ली : सरकारी नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद शीर्ष पुलिस अधिकारियों सहित नौकरशाहों के चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है। सरकार विधि विभाग के एक प्रस्ताव के तहत सेवा नियमों में संशोधन के जरिए इस तरह के नौकरशाहों के ‘नौकरी छोड़ने के बाद राजनीति में आने के बीच की एक अवधि’ निर्धारित करने की सलाह दे सकती है।
चुनाव मैदान में कई वरिष्ठ नौकरशाहों के कूदने से चिंतित चुनाव आयोग ने इस साल के शुरुआत में सरकार से कहा था कि वह इन अधिकारियों के ‘सरकारी नौकरी छोड़ने और राजनीतिक पार्टी में शामिल होने के बीच की अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड)’ निर्धारित करे। इन अधिकारियों में आईएएस, आईपीएस और ग्रुप ए के अन्य अधिकारी शामिल हैं। चुनाव आयोग ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से ऐसे अधिकारियों के मामले में इस ‘अंतराल अवधि’ को लेकर सुझाव मांगे थे, ताकि वे अपने सेवाकाल के दौरान निष्पक्ष बनें रहें और ईमानदारी के साथ फैसला करें।
यह कहा गया कि कोई व्यक्ति किसी भी कारण से सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद एक आम आदमी हो जाता है और इसलिए हम उनके साथ असमान बर्ताव नहीं कर सकते। विधि विभाग ने डीओपीटी को भेजे एक पत्र में कहा है, ‘साथ ही, नौकरी छोड़ने और राजनीति में शामिल होने के बीच की अवधि’ को लेकर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में कोई प्रावधान कर सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी को चुनाव लड़ने से रोकना तथा इस तरह से उनके संवैधानिक अधिकार पर रोक लगाना एक मनमाना प्रावधान प्रतीत होता है।’
पत्र के मुताबिक डीओपीटी इस विचार से सहमत नहीं है कि ‘नौकरी छोड़ने और राजनीति में आने की बीच की अवधि’ के लिए चुनाव नियमों में संशोधन की जरूरत हो सकती है। विधि विभाग ने इस प्रस्तावित संशोधन पर अटार्नी जनरल से भी विचार मांगा है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 22, 2012, 13:07