Last Updated: Tuesday, January 3, 2012, 10:02
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली/कोलकाता : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से इंदिरा भवन का नाम बदलने के प्रस्ताव के बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस आमने-सामने आ गई है और दोनों पार्टियों में ठन गई है।
गौर हो कि इंदिरा भवन कोलकाता स्थित एक गेस्ट हाउस है, जिसका नामकरण पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर किया गया। अब इस नाम को बदलने के प्रस्ताव के बाद इस मसले पर काफी विवाद छिड़ गया है। इसके लिए कांग्रेस ने ममता पर दोष मढ़ा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इशारों में कांग्रेस पर निशाना साधा है। हालांकि उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि मैंने कभी प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी की बुराई नहीं की है, इस तरह की बातें मीडिया की उपज हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस लेफ्ट से मिल चुकी है ताकि रिटेल में एफडीआई और लोकपाल बिल पर तृणमूल कांग्रेस के सख्त कदम को लेकर उससे हिसाब बराबर किया जा सके। तृणमूल कांग्रेस ने एक बयान जारी कर कहा कि कांग्रेस इस मसले का राजनीतिकरण कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता के सॉल्ट लेक स्थित इस गेस्ट हाउस का नाम बदलने के प्रस्ताव के बाद कांग्रेस पार्टी की त्योरियां चढ़ गई हैं और प्रदेश युवा कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। पार्टी की युवा इकाई ने इंदिरा भवन का नाम बदलने के विरोध में शहर में प्रदर्शन भी किया। तृणमूल नेता इस भवन का नाम प्रसिद्ध बंगाली कवि के ऊपर नजरुल भवन करना चाहती है। हालांकि यह भवन पश्चिम बंगाल के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु का आधिकारिक आवासा था, जिसे सीपीएम ने पिछले सप्ताह खाली किया। इस प्रस्ताव को वापस लिए जाने को लेकर कांग्रेस आधिकारिक तौर पर नोटिफिकेशन चाहती है।
उधर, कांग्रेस ने केंद्र में संप्रग सरकार के घटक दल तृणमूल कांग्रेस के साथ अपने मतभेदों को तूल न देते हुए मंगलवार को कहा कि ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली पार्टी पश्चिम बंगाल और केंद्र सरकार में गठबंधन की सहयोगी है।
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के साथ कुछ मतभेद हो सकते हैं लेकिन तथ्य यह है कि पश्चिम बंगाल और केंद्र में तृणमूल के साथ हमारा गठबंधन है। कोलकाता के इंदिरा भवन का नाम बांग्ला कवि काजी नजरुल इस्लाम के नाम पर करने की ममता की कोशिशों का हवाला देते हुए तिवारी ने तृणमूल और राज्य की मुख्यमंत्री को याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने कवियों एवं संगीतकारों का सम्मान किया है और बनर्जी को यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अधीन काम किया है।
उल्लेखनीय है कि ममता पिछले साल बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और लोकपाल विधेयक में लोकायुक्तों के गठन वाले प्रावधान के मसलों पर कांग्रेस को शर्मिदा कर चुकी हैं और अब इमारत का नाम बदलने के मुद्दे पर उन्होंने कांग्रेस को एक और झटका दिया है।
First Published: Wednesday, January 4, 2012, 11:25