Last Updated: Monday, July 16, 2012, 13:21

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश में दवाओं के कथित अवैध क्लीनिकल परीक्षण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सोमवार को कहा कि मनुष्यों के साथ गिनी पिग की तरह सलूक करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
न्यायमूर्ति आर एम लोढ़ा ने मध्यप्रदेश में और देश के अन्य भागों में बड़े पैमाने पर कथित अवैध दवा परीक्षण किए जाने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिकाओं पर जवाब न न देने पर लिए केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार की खिंचाई की।
पीठ ने कहा ‘सरकार की ओर से जिम्मेदारी की कोई तो भावना होनी चाहिए।’ जवाब दाखिल करने के लिए सरकार और भारतीय चिकित्सा परिषद को आठ सप्ताह का समय और देते हुए पीठ ने कहा ‘‘मनुष्यों के साथ गिनी पिग की तरह सलूक किया जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।’ पीठ डॉक्टरों के एक समूह और एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि बच्चों, आदिवासियों और दलितों सहित गरीब लोगों पर अवैध और अनैतिक तरीके से क्लीनिक परीक्षण किये जा रहे हैं और इन लोगों का, बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा तैयार दवाओं और टीकों के परीक्षण करने के लिए गिनी पिग की तरह उपयोग किया जा रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से समाज तथा ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क के विशेषज्ञों की एक समिति बनाने का आदेश देने का अनुरोध किया ताकि यह समिति भारत और विदेशों में क्लीनिक परीक्षणों से संबंधित वर्तमान कानूनी प्रावधानों का अध्ययन करे और इस मुद्दे पर दिशानिर्देश तय करने की सिफारिश करे। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 16, 2012, 13:21