Last Updated: Monday, July 1, 2013, 19:34

अहमदाबाद : गुजरात हाईकोर्ट ने फरार चल रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पी पी पांडेय को सोमवार को एक बड़ा झटका देते हुए इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति हर्षा देवानी ने पांडेय की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक स्तर का एक शीर्ष पुलिस अधिकारी होने के बावजूद वह फरार हैं, उनकी याचिका पर विचार नहीं होना चाहिए।
अदालत ने साथ ही कहा कि प्राथमिकी से एक संज्ञेय अपराध बनता है और पर्याप्त सबूत भी हैं क्योंकि चार आरोपियों में से तीन पहले पुलिस की हिरासत में थे। अदालत ने साथ ही कहा कि चूंकि सीबीआई आरोपपत्र दायर करने के आखिरी चरण में है इसलिए शिकायत को रद्द करने के लिए यह उचित समय नहीं है।
वर्ष 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी पांडेय को यहां की एक सीबीआई अदालत ने गत 21 जून को भगोड़ा घोषित कर दिया था। उन्होंने अपनी याचिका में दावा किया है कि उन्होंने केवल यह गुप्तचर सू़चना आगे बढ़ायी थी कि मुठभेड़ में मारे गए चार में से दो वे ‘आतंकवादी’ थे जो मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने के लिए शहर में प्रवेश की योजना बना रहे थे।
सीबीआई द्वारा दायर प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि पांडेय ने ‘तथाकथित महत्वपूर्ण गुप्तचर सूचनाएं’ अपने साथी अधिकारियों मुहैया करायी जिसमें कहा गया था कि मुम्बई के पास मुम्ब्रा की रहने वाली कालेज छात्रा इशरत और तीन अन्य लश्करे तैयबा के आतंकवादी थे जो कि मोदी की हत्या करने के अभियान पर थे।
अहमदाबाद के संयुक्त पुलिस आयुक्त के रूप में पांडे अपराध शाखा का नेतृत्व कर रहे थे जब इशरत, जावेद शेख उर्फ प्रनेश पिल्लई, अमजादली अबकरअली राणा और जीशान जोहर 15 जून 2004 को अहमदाबाद के पास एक कथित मुठभेड़ में मारे गए थे। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 1, 2013, 17:11