Last Updated: Thursday, October 18, 2012, 18:15
नई दिल्ली : इसरो ने एंट्रिक्स-देवास सौदे में एक उच्च स्तरीय जांच की रिपोर्ट पर अपने पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर के साथ हुई खतोकिताबत का ब्यौरा साझा करने से इनकार कर दिया है। इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने नायर और तीन अन्य के किसी भी प्रकार पुनर्नियोजन पर रोक लगा दी थी।
इसरो ने दावा किया कि इस मामले पर जांच अभी चल रही है।
एक आरटीआई के जवाब में इसरो ने कहा कि जो ब्यौरा मांगा गया है उसे सार्वजनिक किए जाने से सूचना का अधिकार कानून की धारा 8(1)एच के तहत छूट हासिल है क्योंकि संबद्ध मामले में जांच प्रगति पर है और इस मुकाम पर सूचना देने से इस प्रक्रिया में बाधा आएगी।
इसरो के जवाब में कहा गया कि यह धारा उस जानकारी को सार्वजनिक किए जाने पर रोक लगाती है, जिससे जांच की प्रक्रिया बाधित होती हो। इसरो से आरटीआई के जरिए उन खतों की कॉपी मांगी थी जो उच्च स्तरीय दल और उच्च अधिकारप्राप्त समीक्षा समिति की रिपोर्ट पर मौजूदा वैज्ञानिकों अथवा अधिकारियों को लिखे गए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले वर्ष 31 मई को पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय दल का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व केन्द्रीय गुप्तचर आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा को सौंपी गई। इस दल ने एंट्रिक्स प्राइवेट लिमिटेड और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुए विवादित समझौते के विविध पहलुओं की जांच की।
दल से 10 फरवरी 2011 को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा गठित दो सदस्यीय उच्च अधिकार प्राप्त समीक्षा समिति को रिपोर्ट का अध्ययन करने को कहा गया। पिछले वर्ष दो सितंबर को प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी गई उच्च स्तरीय दल की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने नायर और तीन अन्य प्रमुख वैज्ञानिकों को इस सौदे में उनकी कथित भूमिका को देखते हुए इनके पुनर्नियोजन पर रोक लगा दी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 18, 2012, 18:15