Last Updated: Sunday, February 5, 2012, 15:28
नई दिल्ली/चेन्नई : एंट्रिक्स-देवास समझौता मुद्दे पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए भाजपा ने मांग की कि उन्हें इस संबंध में अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए वहीं कांग्रेस ने कहा कि कानूनी मामले पर टिप्पणी करने से राजनीतिक दलों को परहेज करना चाहिए।
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने चेन्नई में कहा, जब इसरो देवास मामला सामने आया, प्रधानमंत्री ने दो उच्च स्तरीय समितियां गठित की। उन्होंने उस कथित घोटाले की जांच भी की। मुझे नहीं मालूम कि इन दोनों रिपोर्ट में क्या आया है। प्रधानमंत्री भी चुप रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि 2-जी मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी दोष गठबंधन राजनीति पर मढ़ दिया जबकि अंतरिक्ष विभाग सीधे उनके अधीन है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, मैं समझती हूं कि सरकार को काफी कुछ स्पष्टीकरण देना है। हम निश्चित तौर पर मांग करेंगे कि प्रधानमंत्री इस संबंध में सफाई दें। उन्होंने बताना चाहिए कि फैसला करने में किस प्रक्रिया का पालन किया गया, जब सौदा किया, उस समय कौन प्रभारी था। प्रधानमंत्री को विस्तृत स्पष्टीकरण देना चाहिए।
सीतारमण ने जानना चाहा कि क्या जिन चार वैज्ञानिकों को काली सूची में डाला गया है, केवल वहीं नुकसान के लिये जिम्मेदार थे। उन्होंने कहा, क्या उनके पास समझौते पर निर्णय करने की शक्तियां हैं? कई सवाल अनुत्तरित हैं। दूसरी ओर कांग्रेस ने कहा कि राजनीतिक दलों को सौदे पर कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह कानूनी मुद्दा है।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उच्च स्तरीय समिति की इसलिए आलोचना नहीं की जानी चाहिए कि उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक है। उन्होंने इस बात पर सहमति जतायी कि इसरो के पूर्व प्रमुख माधवन नायर को इससे असहमत होने या आलोचना करने का अधिकार है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, February 5, 2012, 20:58