Last Updated: Tuesday, January 17, 2012, 07:55
नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग को याचिकाकर्ता के उस आवेदन पर निर्देश जारी करने से इंकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी किए जाने की गुंजाइश को देखते हुए ईवीएम मशीनों के कागजी प्रिंटआउट निकाले जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए अथवा मशीनों की जगह फिर से मतपत्रों द्वारा मतदान कराने की पूर्व व्यवस्था पर लौटना चाहिए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय ऐंडला की पीठ ने कहा, ‘इस अदालत के लिए चुनाव आयोग को यह निर्देश दे पाना कठिन है कि वह ईवीएम मशीनों से कराए गए मतदान का कागजी सबूत रखे।’ पीठ ने हालांकि सुझाव दिया कि आयोग इस बारे में कार्यपालिका, राजनीतिक दलों और अन्य संबद्ध पक्षों से व्यापक विचार विमर्श करे। पीठ ने कहा, ‘इतने बड़े मसले पर नीतिगत निर्णय में पर्याप्त बदलाव लाना जरूरी होगा।’
पीठ ने आवेदन का निपटारा करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने खुद मौजूदा व्यवस्था के दुरुपयोग अथवा मशीन में गड़बड़ी किए जाने का कोई आरोप नहीं लगाया है लेकिन ऐसी आशंका जाहिर की है कि इस तरह का दुरुपयोग या गड़बड़ी की जा सकती है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में एक आवेदन दाखिल कर चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की अपील की थी कि मतदान के लिए ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल करते समय उसका कोई कागजी सबूत रखने की व्यवस्था की जानी चाहिए या फिर ईवीएम से मतदान की जगह पहले की तरह कागजी मतपत्रों पर मतदान कराने की व्यवस्था को लौटाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी किए जाने की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है और इनमें किसी तरह की पारदर्शिता भी नहीं रहती। उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन जैसे यूरोपीय देशों और अमेरिका व जापान में ईवीएम मशीनें असफल साबित हो चुकी हैं और उन्हें अस्वीकार कर दिया गया है। इन देशों ने वापस कागजी मतपत्रों की व्यवस्था पर लौटना पसंद किया है।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 17, 2012, 13:25