Last Updated: Sunday, September 22, 2013, 00:12
नई दिल्ली : किशोर आरोपियों के उम्र निर्धारित करने संबंधी ढेर सारे मुकदमों को ध्यान में रखे हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सत्यापित विद्यालय छोड़ने का प्रमाणपत्र (एसएलसी) उम्र की पुष्टि का प्रमाण है और इस प्रमाण पत्र के उपलब्ध रहने पर चिकित्सकीय निर्धारण की कोई आवश्यकता नहीं है। अदालत ने उल्लेख किया कि किशोर आरोपी की उम्र से संबंधित विवाद कानून के तहत उम्र निर्धारण पर उसके पूर्व में दिए गए दिशानिर्देश के बावजूद उठ रहा है।
न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली रणजीत गोस्वामी की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। उच्च न्यायालय ने उम्र निर्धारण के लिए विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र की जगह चिकित्सकीय जांच को तरजीह दी थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 22, 2013, 00:12