Last Updated: Wednesday, June 26, 2013, 18:52
नई दिल्ली : सरकार और उल्फा असम में दशकों पुरानी उग्रवाद की समस्या के राजनीतिक समाधान के निकट पहुंच रहे हैं क्योंकि उल्फा ने ‘संप्रभुता’ की अपनी महत्वपूर्ण मांग त्याग दी है ।
गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) शंभू सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हम एक क्रियाशील मसौदे को अंतिम रूप देने के लगभग करीब पहुंच गये हैं । कई चीजें हैं, जिन पर अभी बातचीत चल रही है । लेकिन हमें उम्मीद है कि मसौदा जल्द तैयार हो जाएगा ।
उल्फा अध्यक्ष अरविन्द राजखोवा के नेतृत्व में 26 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ लगभग घंटे भर की बैठक के बाद सिंह ने कहा कि सरकार उल्फा की चिन्ताओं और मांगों को समझ गयी है और तीन मुद्दों का समाधान करने की कोशिश हो रही है, जिन पर अभी सहमति नहीं बन पायी है । ये तीन मुद्दे असम मूल के लोगों की राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा, भूमि अधिकार और अवैध आव्रजन हैं ।
सिंह ने ज्यादा ब्यौरा नहीं देते हुए कहा कि इन तीन मुद्दों पर केन्द्रीय गृह सचिव सभी संबद्ध पक्षों से सलाह मशविरे की प्रक्रिया शुरू करेंगे । दोनों पक्षों ने उल्फा के मांगपत्र पर भी चर्चा की, जिसमें असम मूल के लोगों के अधिकारों और पहचान की सुरक्षा के सार्थक तरीके खोजने के लिए संविधान में संशोधन की बात है । ‘संप्रभुता’ की उल्फा की मांग पर बैठक में चर्चा नहीं हुई ।
बैठक की अध्यक्षता करने वाले गृह सचिव आर के सिंह ने बातचीत को सफल बताते हुए उम्मीद जतायी कि उल्फा महासचिव अनूप चेटिय को जल्द ही बांग्लादेश से भारत लाया जाएगा । (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 26, 2013, 18:52