Last Updated: Tuesday, August 7, 2012, 14:41
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आज उच्चतम न्यायालय में आप्रवासी भारतीय व्यवसायी एवं विवादास्पद वेक्ट्रा कंपनी के प्रमुख रविंद्र ऋषि के ब्रिटेन यात्रा के आग्रह का यह कहकर विरोध किया कि हो सकता है कि वह वापस नहीं लौटें ।
ऋषि ने अपनी विभिन्न बीमारियों के उपचार के लिए ब्रिटेन जाने की अनुमति मांगी है ।
न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की पीठ के समक्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल ने कहा कि जांच एजेंसी को आशंका है कि यदि ऋषि को देश छोड़ने की इजाजत दी गई तो वह वापस नहीं लौटेंगे ।
सत्तावन वर्षीय ऋषि ब्रिटिश नागरिक हैं और वह सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड को टाट्रा ट्रकों की आपूर्ति में अनियिमितताओं के आरोपों का सामना कर रहे हैं । अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने उल्लेख किया कि करार में आरोपी की कथित भूमिका और जांच के दौरान उसके आचरण के चलते उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता तथा विदेश यात्रा का उसका आग्रह ‘‘इस अदालत की सहानुभूति हासिल करने का’ एक प्रयास है ।
सीबीआई ने न्यायालय के समक्ष सोनोग्राफी सहित विभिन्न चिकित्सा रिपोर्ट रखीं और कहा कि उसके स्वास्थ्य को ‘कोई खतरा नहीं है ।’ पीठ के कुछ सवालों जिनका जिक्र सीबीआई के तर्क में नहीं था, के जवाब में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने उल्लेख किया कि कुछ खास तथ्य हैं जिनका उल्लेख हलफानामे में नहीं किया जा सकता, लेकिन अदालत में बंद लिफाफे में इनका खुलासा किया जा सकता है ।
हालांकि, ऋषि की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सीबीआई के आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह समूचे मामले में बीईएमएल की भूमिका को ढकने का प्रयास है । रोहतगी ने अपने मुवक्किल को विदेश जाने देने की अनुमति मांगते हुए कहा कि ‘मैं जमानत के तौर पर दिल्ली स्थित 100 करोड़ रुपये के अपने मकान को रखने के लिए तैयार हूं ।’
सीबीआई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निषेध अधिनियम की धाराओं के तहत 30 मार्च को ऋषि, रक्षा मंत्रालय, सेना और बीईएमएल के अनाम अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था ।
सीबीआई तत्कालीन चेकोस्लोवाकिया स्थित टाट्रा से आपूर्ति 1997 में ऋषि के मालिकाना हक वाली टाट्रा सिपोक्स यूके को दिए जाने में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है । (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 7, 2012, 14:41