एंटी रेप बिल को लोकसभा ने दी मंजूरी

एंटी रेप बिल को लोकसभा ने दी मंजूरी

एंटी रेप बिल को लोकसभा ने दी मंजूरीनई दिल्ली : महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कड़ी सजा के प्रावधान वाले विधेयक को लोकसभा ने मंगलवार को मंजूरी दे दी जिसमें महिलाओं के खिलाफ तेजाब के हमले, उन्हें घूरने और पीछा करने जैसे कृत्यों के लिए भी कड़े प्रावधान किये गये हैं।

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा सदन में पेश किये गये दंड विधि (संशोधन) विधेयक, 2013 को सदन में करीब साढ़े पांच घंटे की चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले सदन ने विधेयक पर विपक्षी सदस्यों की ओर से पेश किये गये सभी संशोधनों को नामंजूर कर दिया।

यह विधेयक दिल्ली में गत 16 दिसंबर को हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद देशभर में उठे आक्रोश की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति द्वारा 3 फरवरी को जारी किये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए लाया गया है।

विधेयक में भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है।

शिंदे ने विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि हम इस कानून को कड़ा बना रहे हैं ताकि लोगों में इस तरह के अपराधों के प्रति डर बैठे।

उन्होंने कहा, ‘इस बात का स्पष्ट और जोरदार संदेश देने का समय आ गया है कि समाज इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं करेगा।’ उन्होंने हर पुलिस थाने में महिला अधिकारी की नियुक्ति की मांग से पूरी तरह सहमति जताते हुए कहा कि पुलिस में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा नियुक्ति करने का प्रयास किया जाएगा।

गृहमंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों में बंद कमरे में सुनवाई होनी चाहिए।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में अकसर दलित, वंचित और गरीब समुदाय की महिलाओं की शिकायतें पुलिस द्वारा दर्ज नहीं किये जाने के मामलों का उल्लेख करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इस बात का प्रावधान किया गया है कि जो अधिकारी प्राथमिकी दर्ज करने में कोताही बरतेगा, उसे दंडित किया जाएगा।

हालांकि राजद के लालू प्रसाद ने कहा कि ऐसे मामलों की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच का प्रावधान होना चाहिए जैसा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो में होता है अन्यथा इसका दुरुपयोग होगा। शिंदे ने कहा कि इस सुझाव पर विचार किया जाएगा।

विधेयक के प्रावधानों के दुरुपयोग को लेकर सदस्यों की आशंकाओं पर गृहमंत्री ने कहा कि अगर दुरुपयोग होता है तो भारतीय दंड संहिता में इसके लिए भी सजा का प्रावधान है।

विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए सरकार द्वारा कल बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक में कुछ दलों की ओर से उन्हें नहीं बुलाये जाने की शिकायत पर शिंदे ने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है, संसदीय कार्य मंत्री ने सभी दलों को बुलाया था। हम इसकी तहकीकात करेंगे। भविष्य में सभी को बुलाएंगे।

विधेयक पर खंडवार चर्चा के दौरान मंजूरी दिये जाने के समय बीजद के बी महताब और तथागत सतपथि द्वारा पेश किये गये संशोधन प्रस्तावों को मत-विभाजन में नामंजूर कर दिया गया।

तथागत ने महिलाओं का पीछा करने संबंधी अपराध को जमानती बनाने के प्रावधान को बदलकर गैर-जमानती करने और सजा बढ़ाने के लिए संशोधन पेश किया था। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने भी इसका समर्थन किया लेकिन गृहमंत्री ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में इसे जमानती अपराध की श्रेणी में रखने पर आम सहमति बनी थी।

तेजाब से हमले के दोषियों के लिए विधेयक में निर्दिष्ट सजा को बढ़ाकर उम्रकैद करने के लिए महताब द्वारा पेश किये गये संशोधन प्रस्ताव को भी सदन ने मत-विभाजन के जरिये अस्वीकृत कर दिया। इस संशोधन के पक्ष में 62 मत पड़े जबकि विरोध में 105 मत पड़े।

बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामलों में कठोर सजा के उद्देश्य वाले इस विधेयक में कहा गया है कि ऐसे मामलों में अपराधी को कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है जिसकी अवधि 20 साल से कम नहीं होगी और इसे पूरी उम्र के लिए आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है।

इस तरह के अपराधों को एक से अधिक बार अंजाम देने वाले अपराधियों को मौत की सजा का भी प्रावधान है।

विधेयक में यह प्रावधान भी प्रस्तावित है कि सभी अस्पताल तेजाब के हमले या दुष्कर्म पीड़ितों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा या निशुल्क उपचार प्रदान करेंगे और ऐसा नहीं करने पर सजा दी जाएगी। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 19, 2013, 20:41

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