Last Updated: Wednesday, March 20, 2013, 09:45

नई दिल्ली: एंटी रेप बिल आज राज्यसभा में पेश होगा जहां उसकी मंजूरी मिलनी बाकी है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कड़ी सजा के प्रावधान वाले विधेयक को लोकसभा ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। अब यह बिल बुधवार को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसके तहत महिलाओं के खिलाफ तेजाब के हमले, उन्हें घूरने और पीछा करने जैसे कृत्यों के लिए भी कड़े प्रावधान किये गये हैं।
मंगलवार को गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे द्वारा सदन में पेश किये गये दंड विधि (संशोधन) विधेयक, 2013 को सदन में करीब साढ़े पांच घंटे की चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले सदन ने विधेयक पर विपक्षी सदस्यों की ओर से पेश किये गये सभी संशोधनों को नामंजूर कर दिया।
यह बिल दिल्ली में गत 16 दिसंबर को हुई सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद देशभर में उठे आक्रोश की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति द्वारा 3 फरवरी को जारी किये गये अध्यादेश की जगह लेने के लिए लाया गया है।
विधेयक में भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है।
महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में अकसर दलित, वंचित और गरीब समुदाय की महिलाओं की शिकायतें पुलिस द्वारा दर्ज नहीं किये जाने के मामलों का उल्लेख करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि इस बात का प्रावधान किया गया है कि जो अधिकारी प्राथमिकी दर्ज करने में कोताही बरतेगा, उसे दंडित किया जाएगा।
तेजाब से हमले के दोषियों के लिए विधेयक में निर्दिष्ट सजा को बढ़ाकर उम्रकैद करने के लिए महताब द्वारा पेश किये गये संशोधन प्रस्ताव को भी सदन ने मत-विभाजन के जरिये अस्वीकृत कर दिया। इस संशोधन के पक्ष में 62 मत पड़े जबकि विरोध में 105 मत पड़े।
बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामलों में कठोर सजा के उद्देश्य वाले इस विधेयक में कहा गया है कि ऐसे मामलों में अपराधी को कठोर कारावास की सजा दी जा सकती है जिसकी अवधि 20 साल से कम नहीं होगी और इसे पूरी उम्र के लिए आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इस तरह के अपराधों को एक से अधिक बार अंजाम देने वाले अपराधियों को मौत की सजा का भी प्रावधान है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 20, 2013, 08:51