Last Updated: Tuesday, March 19, 2013, 16:17

नई दिल्ली : लोकसभा में मंगलवार को महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कड़ी सजा के प्रावधान वाले विधेयक को पेश किया गया जिसमें महिलाओं पर तेजाब के हमले, उन्हें घूरने और पीछा करने जैसे कृत्यों के लिए भी कड़े प्रावधान हैं।
गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने लोकसभा में दंड विधि अधिनियम (संशोधन) विधेयक, 2013 पेश किया जिसे दिल्ली में 16 दिसंबर को सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद देशभर में उठे आक्रोश की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति द्वारा 3 फरवरी को जारी किये गये अध्यादेश की जगह लाया गया है।
विधेयक में भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम और यौन अपराधों से बच्चों का सरंक्षण अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव है।
बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के मामलों में कठोर सजा के उद्देश्य से प्रस्तावित विधेयक में कहा गया है कि ऐसे मामलों में अपराधी को सश्रम कारावास की सजा दी जा सकती है जिसकी अवधि 20 साल से कम नहीं होगी और इसे उम्रकैद तक बढ़ाया जा सकता है।
इस तरह के अपराधों को एक से अधिक बार अंजाम देने वाले अपराधियों को मौत की सजा का भी प्रावधान है।
लोकसभा में विधेयक को पेश करते हुए शिंदे ने सभी दलों का समर्थन मांगा। उन्होंने पिछले साल 16 दिसंबर को दिल्ली में चलती बस में छह लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई 23 वर्षीय छात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमें बहादुरों का सम्मान करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इस बात का स्पष्ट और जोरदार संकेत देने का समय आ गया है कि समाज इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं करेगा।
पहली बार विधेयक में तेजाब से हमले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है और पीड़िता को अपने बचाव का मौका प्रदान करने की बात है। इस तरह की करतूत करने वालों को न्यूनतम 10 साल की सजा का भी प्रावधान है।
विधेयक में तेजाब के हमले के अलावा महिलाओं को घूरने, उनका पीछा करने और यौन उत्पीड़न के अपराधों को परिभाषित करने तथा सजा तय करने का भी प्रस्ताव है। विधेयक में बलात्कार की परिभाषा को व्यापक करने की भी बात है।
विधेयक में सहमति से यौन संबंध की उम्र 16 साल करने का भी प्रस्ताव शामिल है लेकिन शिंदे ने इस विशेष खंड को हटाने के लिए संशोधन पेश किया। कल विभिन्न राजनीतिक दलों की बैठक के बाद सरकार ने इस बाबत फैसला किया था।
सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 साल करने पर भाजपा और अन्य दलों के साथ सरकार को बाहर से सहयोग दे रही सपा भी विरोध में थी।
विधेयक में यह प्रावधान भी प्रस्तावित है कि सभी अस्पताल तेजाब के हमले या दुष्कर्म पीड़ितों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा या निशुल्क उपचार प्रदान करेंगे और ऐसा नहीं करने पर सजा दी जाएगी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, March 19, 2013, 09:00