Last Updated: Sunday, February 5, 2012, 02:51
बैंगलुरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा नियुक्त समिति ने देर रात इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर एवं तीन अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिकों को एंट्रिक्स देवास सौदे मामले में दोषी पाया। इन चारों को पहले ही कोई सरकारी पद ग्रहण करने से वंचित कर दिया गया है।
पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त प्रत्यूष सिन्हा की अगुवाई में गठित समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि एंट्रिक्स देवास सौदे में पारदर्शिता की कमी थी। समिति ने सिफारिश की है कि नायर, ए भास्करनारायण, के आर श्रीधारा मूर्ति तथा के एन शंकर के खिलाफ कदम उठाने की जरूरत है। चारों सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
एंट्रिक्स इसरो का वाणिज्यिक अंग है जबकि देवास एक निजी कंपनी है। पिछले साल 31 मई को इस पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन इस सौदे की जांच करने तथा सरकारी अधिकारियों द्वारा की गयी गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए किया गया था।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है , ‘न केवल गंभीर प्रशासनिक एवं प्रक्रियागत चूक हुई बल्कि कुछ व्यक्तियों की ओर से साठगांठ जैसा आचरण भी किया गया है। ऐसे में कार्रवाई किये जाने के लिए जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।’ समिति ने कहा कि ऐसा जान पड़ता है कि देवास को इस सौदे के लिए चुनने में पारदर्शिता और उचित कर्मठता नहीं दिखाई गयी।
समिति ने कहा, ‘इस सौदे की मंजूरी प्रक्रिया के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल और अंतरिक्ष आयोग को अपूर्ण और गलत सूचनाएं दी गयी।’ समिति ने कहा है कि 28 जनवरी, 2005 को ही एंट्रिक्स देवास सौदे पर हस्ताक्षर हुआ और इस तथ्य से अंतरिक्ष आयोग को अवगत नहीं कराया गया तथा 27 नवंबर, 2007 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के नोट में भी यह जानकारी नहीं दी गयी थी जिसमें जी सैट 6 के प्रक्षेपण के लिए मंजूरी मांगी गयी थी। यह इस करार के बनाये जाने वाले उपग्रहों में एक था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एंट्रिक्स-देवास सौदे की शर्तें ‘पूरी तरह से देवास के पक्ष में थीं।’ इसमें कहा गया है कि सौदे की शर्तों के अनुसार उपग्रह की नाकामयाबी की सूरत में जोखिम पूरी तरह से अंतरिक्ष विभाग का होगा।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया, ‘यह आश्चर्यजनक है कि फैसले के लिए देवास को एक अंतरराष्ट्रीय ग्राहक माना गया, जबकि उसका पंजीकृत पता बेंगलूर में दिखाया गया है।
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अंतरिक्ष विभाग और वित्त मंत्रालय के कानूनी प्रकोष्ठों से एंट्रिक्स देवास सौदे के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई जो भारत सरकार द्वारा किए जाने वाले किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते के लिए आवश्यक होती है । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि देवास के लिए जी सैट क्षमता इंसैट कारपोरेशन कमेटी से बिना सलाह मशविरा किए चिह्नित की गई जो ‘सरकारी नीति का स्पष्ट उल्लंघन है ।’
समिति ने कहा ‘इस बात के सबूत हैं कि एंट्रिक्स देवास सौदे का प्रायोगिक परीक्षणों पर विचार के समय तकनीकी सलाहकार समूह के समक्ष खुलासा नहीं किया गया ।’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यही सेवा उपलब्ध कराने के लिए अन्य संभावित साझीदारों को चिह्नित करने के लिए प्रयास किए जाने का कोई संकेत नहीं है जबकि यही सेवा अन्य कुछ देशों में भी उपलब्ध थी ।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, February 5, 2012, 17:42