Last Updated: Thursday, January 26, 2012, 15:13
बेंगलूर : इसरो के पूर्व प्रमुख जी. माधवन नायर ने गुरुवार को इन सुझावों को बकवास कहकर खारिज कर दिया कि समाप्त किए जा चुके विवादास्पद एंट्रिक्स देवास सौदे में घोटाला हुआ था। उन्होंने इस बात को दोहराया कि सरकारी खजाने को भारी नुकसान का आकलन पूरी तरह गलत है।उन्होंने यहां कहा कि लोग स्पेक्ट्रम को उपग्रह ट्रांसपोंडर को लीज पर दिए जाने से मिला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों भिन्न मुद्दे हैं। इसरो का लेनादेना केवल ट्रांसपोंडरों के लीज पर देने से हैं। उन्होंने कहा कि इसरो को देवास को दो ट्रांसपोंडर देने थे। मिसाल के तौर पर टाटा स्काई ने अपने इस्तेमाल के लिए एक उपग्रह के 12 ट्रांसपोंडरों को अपने इस्तेमाल के लिए ले लिया है। नायर ने कहा कि यदि इसरो किसी परिचालक को ट्रांसपोंडर देता है तो वह भारतीय उपमहाद्वीप में दूरसंचार विभाग से अनुमति मिले बिना अपलिंकिंग, डाउनलिंकिंग और बीमिंग नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि उनकी समझ से 2009 के अंत तक देवास दूरसंचार विभाग से लाइसंेस प्राप्त करने का प्रयास कर रहा था और उसे तब तक लाइसेंस नहीं मिला था। उन्होंने कहा कि पूरी बात का स्पेक्ट्रम इस्तेमाल या किसी अन्य चीज से कोई लेनादेना नहीं था तथा 20 हजार करोड़ रुपये के रूप में पेश की गई राशि पूरी तरह से गलत है।
नायर ने कहा कि इसरो का बजट मुश्किल से 4000 करोड़ रूपये प्रति वर्ष है। यदि मैं (इसरो) दो ट्रांसपोंडरों की आपूर्ति से 20 हजार करोड़ रुपये हासिल कर सकता हूं तो इसरो को सरकार से कोई सहयोग लेने की क्या जरूरत है।
उन्होंने कहा कि ट्रांसपोंडर की लागत की अंतरराष्ट्रीय बाजार में चल रही कीमतों से तुलना की जानी चाहिए। पूरे सौदे को घोटाले आदि से जोड़ने का प्रयास है, यह मुद्दे की गलत समझ पर आधारित है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, January 26, 2012, 20:43