Decision on AFSPA after talks with all sides

एएफएसपीए पर निर्णय सभी पक्षों से बातचीत के बाद

नई : केन्द्र सरकार विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (एएफएसपीए) को वापस लेने के सिलसिले में जम्मू कश्मीर सहित विभिन्न राज्य सरकारों मांग पर विचार कर रही है तथा सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद ही कोई अंतिम निर्णय किया जायेगा।

मीडिया से बातचीत करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि उसके पहले (एएफएसपीए को हटाने) हमें सभी सम्बद्ध पक्षकारों के बारे में विचार करना होगा। उन्होंने कहा कि एएफएसपीए केवल कश्मीर में नहीं है। यह कई अन्य जगहों पर भी है।

एएफएसपीए से सशस्त्र बलों को विशेष शक्तियां मिलती हैं। यह कानून जम्मू कश्मीर एवं कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में लागू है। शिंदे ने इस मुद्दे पर विचार विमर्श के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने से इंकार कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि एएफएसपीए को वापस लेने के बारे में अंतिम निर्णय से पहले केवल संबद्ध राज्यों से ही विचार विमर्श किया जायेगा।

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले आतंरिक सुरक्षा सम्मेलन में कहा था, हम एएफएसपीए वापस लेने के लिए सारी समस्याओं के खत्म हो जाने तक का इंतजार नहीं कर सकते।

उमर ने दलील दी थी कि यदि नक्सल प्रभावित इलाकों में एएफएसपीए जैसे कानून नहीं लगाये जा सकते, जहां नक्सलियों द्वारा घृणित अपराधों को अंजाम दिया जा रहा है, तो इसे जम्मू कश्मीर के क्षेत्रों में बनाये रखना क्यों जरूरी है जो लगभग शांतिपूर्ण बन चुका है।

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने ऐसे क्षेत्रों में एएफएसपीए को आंशिक और क्रमिक रूप से हटाने की वकालत की जहां शांति बहाल हो गयी है और आतंकवाद जैसी घटनाओं में खासी कमी आयी है। प्रधानमंत्री ने भी राज्य सरकार को शांतिपूर्ण 2012 के लिए बधाई दी। पिछले 25 सालों के दौरान सभी मानकों एवं संकेतों के आधार पर गत वर्ष सबसे कम हिंसा हुई। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, June 11, 2013, 20:32

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