Last Updated: Monday, July 29, 2013, 18:16

नई दिल्ली : काफी विलंब के शिकार हुए विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव ने उस समय एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली जब इसने रूस में पिछले हफ्ते समुद्री परीक्षणों के दौरान 30 नॉट्स से अधिक की अपनी उच्चतम गति प्राप्त कर ली।
इस विमानवाहक पोत को नया नाम आईएनएस विक्रमादित्य दिया गया है। 44,500 टन वजनी यह पोत इस साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल किए जाने से पहले रूस में सघन समुद्री परीक्षणों से गुजर रहा है।
नौसेना के अधिकारियों ने बताया कि अपनी उच्चतम गति हासिल करने के बाद युद्धपोत अब बहुत जल्द श्वेत सागर में जाएगा जहां इसके रनवे से लड़ाकू विमानों के उड़ने और उतरने के परीक्षण होंगे।
यह युद्धपोत पहले ही करीब पांच साल के विलंब का शिकार हो चुका है। अब इसके परीक्षण सितंबर के अंत तक पूरे हो जाने की उम्मीद है।
पोत को 2008 में भारत को सौंपा जाना था, लेकिन इसकी कीमत में हुए इजाफे और अत्यधिक समय निकल जाने को देखते हुए रूसी पक्ष ने भारत को पिछले साल सूचित किया कि वह इसे 2013 के अंत तक भारतीय नौसेना को सौंपने में सक्षम होगा।
परीक्षणों को परखने के लिए नौसेना ने युद्धपोत निरीक्षण टीम के साथ विशेषज्ञ अधिकारियों को भेजा है। अधिकारियों ने कहा कि बल द्वारा इसे शामिल करने के लिए मंजूरी दिए जाने से पहले परीक्षणों में मानक जांचें की जाएंगी। भारत ने 2004 में युद्धपोत के लिए 93.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर के करार पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन रूसी पक्ष युद्धपोत की कीमत बढ़ाता रहा और अंतत: 2.33 अरब अमेरिकी डॉलर में सौदे को अंतिम रूप मिला।
रूस के साथ भारत ने 45 मिग-29 नौसैन्य लड़ाकू विमान हासिल करने के करार पर हस्ताक्षर किए हैं जिन्हें विमानवाहक पोत पर तैनात किया जाएगा। विमानों की खेप युद्धपोत के पहुंचने की तारीख से बहुत पहले ही मिलनी शुरू हो गई थी।
विमानवाहक पोत को नौसेना कर्नाटक में कारवाड़ अपटतीय क्षेत्र में आधारित करेगी और इसके के लिए पहले ही केंद्र बनाना शुरू कर दिया गया है। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 29, 2013, 18:16