Last Updated: Monday, February 27, 2012, 14:55
नई दिल्ली : सरकार ने सोमवार को कहा कि राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केंद्र (एनसीटीसी) इस साल एक मार्च से शुरू नहीं होगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह ऐलान किया गया है । कई राज्यों की ओर से एनसीटीसी का विरोध किए जाने के कुछ दिन बाद यह फैसला किया गया है। विरोध कर रहे राज्यों का कहना है कि एनसीटीसी का गठन देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है।
कुछ राज्यों की आपत्तियों के बाद केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने गैर कांग्रेस शासित दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा कि केंद्र प्रस्तावित एनसीटीसी के कामकाज और विभिन्न पहलुओं के बारे में राज्यों के साथ विस्तार से चर्चा करेगा। गुजरात, तमिलनाडु, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित दस राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजे एक जैसे पत्र में चिदंबरम ने कहा कि केंद्रीय गृह सचिव राज्यों के पुलिस प्रमुखों और राज्य सरकारों की आतंकवाद रोधी इकाइयों के प्रमुखों की बैठक बुलाएंगे, जिसमें एनसीटीसी के कामकाज को लेकर विस्तार से बातचीत होगी। विरोध कर रहे मुख्यमंत्रियों ने एनसीटीसी को गिरफ्तार करने और तलाशी लेने का अधिकार दिए जाने का कड़ा विरोध किया है, लेकिन चिदंबरम ने उनसे कहा है कि ये केवल न्यूनतम अधिकार हैं, जो आवश्यक होंगे।
चिदंबरम ने पत्र के साथ भेजे नोट में कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियानों में संलग्न होने पर अधिकारियों के पास गिरफ्तारी और तलाशी का अधिकार होना ही चाहिए, जो महज न्यूनतम अधिकार हैं और जो आवश्यक होंगे। नोट में गृह मंत्री ने एनसीटीसी के ढांचे, उददेश्य, अधिकारों और कामकाज का विस्तृत वर्णन करते हुए मुख्यमंत्रियों ने इस पर गंभीरता से विचार करने को कहा है।
संप्रग की घटक तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एनसीटीसी के अधिकारों को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भेजे पत्र में गंभीर आपत्तियां दर्ज कराई हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि सिंह ने गृह मंत्रालय से मुख्यमंत्रियों द्वारा व्यक्त चिंताओं का निराकरण करने को कहा है। चिदंबरम ने मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में कहा है कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और इसे पार्टी राजनीति से उपर उठकर देखा जाना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 28, 2012, 12:50