Last Updated: Saturday, May 5, 2012, 11:19
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) के गठन का मुद्दा खटाई में पड़ता दिख रहा है। तृणमूल कांग्रेस और गैरकांग्रेस शासित राज्यों की मुखालफत के मद्देनजर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए शनिवार को मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन बुलाया गया था लेकिन केंद्र सरकार की मंशा धरी की धरी रह गई। गतिरोध खत्म होने के बजाए और बढ़ गया।
दिन भर चले इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने भी सम्बोधित किया लेकिन वे विपक्षी मुख्यमंत्रियों को मनाने में नाकाम रहे। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सम्मेलन में एनसीटीसी का पुरजोर विरोध किया। इसी विरोध का नतीजा था कि सम्मेलन खत्म होने के बाद चिदम्बरम को कहना पड़ा कि
एनसीटीसी के गठन के सिलसिले में अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है।
दिन भर चले मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सहमति बनाने में असफल रहने के बाद चिदम्बरम ने कहा, 'एनसीटीसी पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। अंतिम फैसला अभी नहीं हुआ है।' उन्होंने कहा कि सभी मुख्यमंत्रियों ने आतंकवाद निरोधक केंद्र की जरूरत तो जताई लेकिन साथ ही प्रस्तावित केंद्र की शक्तियों और उसकी कार्यप्रणाली पर उन्होंने सवाल भी उठाए।
चिदम्बरम ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा बुलाई गई इस बैठक में सवाल उठाए गए कि राज्य पुलिस को पूर्व सूचना दिए बगैर एनसीटीसी कैसे असाधारण मामलों में भी अभियान चला सकता है। साथ ही यह सवाल भी उठाए गए कि क्यों इस केंद्र को खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधीन रखा जाए। चिदंबरम ने कहा, 'हम इसकी समीक्षा करेंगे और फिर सरकार अंतिम निर्णय लेगी।' उन्होंने कहा कि एनएसीटी का विरोध करने वाले मुख्यमंत्रियों से उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कमियों को सामान्य पुलिस अधिकारियों द्वारा नहीं भरा जा सकता। चिदम्बरम ने कहा, 'हम मानते हैं कि एनसीटीसी इस कमी को पूरा कर सकता है। एनसीटीसी नहीं तो कोई दूसरा संस्थान, जिसे शक्तियां प्रदान हों।'
चिदम्बरम के बाद दूसरे वक्ता के रूप में मनमोहन सिंह ने इस बात से इंकार किया कि राज्यों के पुलिस अधिकार या देश के संघीय ढांचे के साथ छेड़छाड़ करने की कोई कोशिश की जा रही है। मनमोहन सिंह ने एनसीटीसी के गठन पर कहा, 'राज्यों और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों के वितरण को किसी भी रूप में प्रभावित करने का हमारी सरकार का इरादा नहीं है।' प्रधानमंत्री ने दिनभर चलने वाली इस बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि एनसीटीसी की स्थापना राज्य बनाम केंद्र का मुद्दा नहीं है क्योंकि प्राथमिक उद्देश्य इस विशाल देश में आतंकवाद निरोधी प्रयासों को समन्वित करने का है।
उधर, ममता बनर्जी और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, मनमोहन और चिदम्बरम की इन बातों से संतुष्ट नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी को किसी भी हाल में गठित नहीं किया जाना चाहिए। जयललिता ने केंद्रीय गृह मंत्रालय पर राज्य सरकारों को नीचा दिखाने का आरोप लगाया और कहा कि शतरंज की बिसात पर उनके साथ प्यादे जैसा बरताव किया जा रहा है। आतंकवाद निरोधक क्षमताओं में कमियों व जरूरतों को पूरा नहीं किया जा रहा है।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीटीसी में किए गए बदलावों पर प्रसन्नता जाहिर की, लेकिन उन्होंने अपने पुराने रुख को दोहराते हुए कहा कि यह देश के संघीय ढांचे पर हमला है। मोदी ने पूछा कि क्या संवैधानिक व्यवस्थाओं और संघीय ढांचे के तहत केंद्र-राज्य सम्बंधों पर से भरोसा उठ चुका है। मोदी ने कहा कि यह राज्य पुलिस की क्षमताओं को घटाने वाला कदम होगा।
ममता बनर्जी ने कहा कि पुलिस की जिम्मेदारी राज्यों के पास रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'पुलिस का काम राज्यों का विशेषाधिकार बने रहना चाहिए। इसलिए मैं केंद्र सरकार से पुरजोर आग्रह करती हूं कि वह तीन फरवरी को गृह मंत्रालय द्वारा जारी अपना आदेश वापस ले ले।' उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी एनसीटीसी के मौजूदा स्वरूप का विरोध करते हुए केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह इस पर फिर से विचार करे। अखिलेश ने कहा कि एनसीटीसी के प्रस्ताव पर नए सिरे से विश्लेषण किए जाने की जरूरत है, खासतौर से उसके अधिकारों, संरचना और कामकाज के तरीकों पर।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने एनसीटीसी की संरचना और उसके अधिकारों में परिवर्तन की मांग की। उन्होंने कहा कि एनसीटीसी किसी भी संकट की स्थिति में कमान संभाल सकता है और स्थानीय भावनाओं की चिंता किए बगैर एकतरफा कार्रवाई कर सकता है। राज्यों में अभियान के लिए राज्य सरकारों से सहमति हासिल करने का इसमें कोई प्रावधान नहीं है। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि एनसीटीसी के मौजूदा स्वरूप में वैधानिक समस्याएं हैं। उदाहरण के तौर पर एनसीटीसी का निदेशक अपने आप में एक जांचकर्ता है और वह अहम अभियान व्यक्तिगत तौर पर चला सकता है। नामित अधिकारी के नाते उसके लिए सभी जब्तियों की समीक्षा करना जरूरी है। जाहिर तौर पर वह अपनी कार्रवाई की समीक्षा नहीं कर सकता।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि एनसीटीसी असंवैधानिक है। एक ऐसी एजेंसी जिसे बगैर संवैधानिक आधार के गठित किया जाएगा, उसे इस तरह के अधिकार देना संविधान और कानून के शासन के खिलाफ होगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनसीटीसी के गठन सम्बंधी आदेश को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह आदेश कई वैधानिक और प्रक्रियागत खामियों से ग्रस्त है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा ने इस आदेश की समीक्षा करने की मांग की। उन्होंने कहा, 'मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि वह एनसीटीसी के कई प्रावधानों की समीक्षा करे और आगे बढ़ने से पहले हमारी कई चिंताओं को दूर करे।'
First Published: Sunday, May 6, 2012, 15:42