Last Updated: Wednesday, December 7, 2011, 03:48
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी नई दिल्ली : सत्ता पक्ष के विभिन्न दलों और विपक्ष के भारी दबाव के आगे झुकते हुए सरकार ने आज ऐलान किया कि वह रिटेल में एफडीआई पर फैसला स्थगित कर रही है। इस घोषणा के बाद नौ दिन से हंगामे का मंजर देख रही संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पड़ी।
संसद का गतिरोध समाप्त करने पर सहमति बुधवार सुबह सर्वदलीय बैठक में बनी। सरकार ने पेशकश की कि वह मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में 51 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के फैसले को फिलहाल स्थगित कर रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने लोकसभा में ऐलान किया कि सरकार एफडीआई पर फैसला तब तक के लिए टाल रही है, जब तक सभी संबद्ध पक्षों के बीच आम सहमति न बन जाए। राज्यसभा में इसी तरह का बयान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने दिया।
मुखर्जी ने कहा कि संबद्ध पक्षों में राजनीतिक दल और राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होंगे, जिन्हें शामिल किए बिना यह फैसला लागू नहीं किया जाएगा। विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि सरकार जनता की इच्छा के आगे झुकी है और जनता की इच्छा के आगे झुकना हार नहीं है। नेता सदन मुखर्जी के बयान के बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने भाजपा, वाम और बसपा सहित विभिन्न दलों की ओर से पेश कार्य स्थगन प्रस्ताव नामंजूर कर दिए, जिसके विरोध में बसपा सदस्यों ने वाकआउट किया। उसके बाद इस शीतकालीन सत्र में पहली बार प्रश्नकाल शुरू हुआ। यह सत्र 22 नवंबर को शुरू हुआ था।
राज्यसभा में आनंद शर्मा के बयान के बाद भाजपा, वाम दल सहित विपक्ष ने सवाल किया कि जिन पक्षों की बात की गई है, वे कौन हैं? इस पर मंत्री ने जवाब दिया कि जब हम विभिन्न पक्षों की बात करते हैं, तो इसमें राज्य सरकारें और विभिन्न राजनीतिक दल शामिल होते हैं। बसपा ने इस पर आपत्ति जताई कि एफडीआई संबंधी फैसले को सिर्फ स्थगित किया गया है और वह चाहती है कि इस फैसले को वापस लिया जाए। इसके बाद पार्टी ने सदन से वाकआउट किया। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि विचार विमर्श प्रक्रिया में राज्य सरकारों को शामिल किया जाना चाहिए।
First Published: Thursday, December 8, 2011, 11:09