Last Updated: Thursday, December 1, 2011, 03:35
ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसीनई दिल्ली : रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति के खिलाफ देशव्यापी बंद के दौरान मोहल्ले की दुकानें और छोटे स्टोर खुले रहे, जबकि बड़ी दुकानें व बाजार रहे। विपक्ष शासित राज्यों गुजरात और बिहार में बंद का मिला-जुला असर देखा गया। दिल्ली, आंध्र प्रदेश और असम में भी बंद का असर दिखा।
दिल्ली में सरोजनी नगर मार्केट ने एक दिन के इस बंद से खुद को अलग रखते हुए कहा है कि बंद की कोई जरूरत नहीं है। कई शहरों में दुकानदारों ने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को वापस लिए जाने की मांग करते हुए मार्च निकाला। व्यापारिक संगठनों का कहना है कि इससे देश में सभी के लिए समान मौके खत्म होंगे और परिस्थिति बहुत हद तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पक्ष में झुकी होगी। व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए खुदरा क्षेत्र में एफडीआई एक बुरे स्वप्न की तरह है।
व्यापारियों के प्रमुख संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने दावा किया कि देश भर के व्यापारी बंद में शामिल हुए। राजधानी के प्रमुख बड़े बाजार करोलबाग, सदर बाजार, कमला नगर, चावड़ी बाजार, कश्मीरी गेट, तिलक नगर, रोहिणी, कृष्णा नगर और ग्रेटर कैलाश एम ब्लाक बंद रहे। खंडेलवाल ने बयान में कहा, ‘10,000 व्यापारिक संगठनों से जुड़े पांच करोड़ व्यापारी बंद में शामिल हुए। भाजपा भी बंद में शामिल रही। भाजपा ने आज दिल्ली में कई स्थानों पर जुलूस निकाला तथा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का पुतला फूंका।
महाराष्ट्र में छोटे और मझोले व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद रखीं। फेडरेशन आफ एसोसिएशंस आफ महाराष्ट्र का दावा है कि राज्य में 35 लाख व्यापारी बंद में शामिल हुए। पश्चिम बंगाल में भी ज्यादातर दुकानें बंद रहीं। पश्चिम बंगाल का पोस्ता क्षेत्र का थोक बाजार बंद रहा। इस बीच, सरकार ने मल्टीब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के फैसले को वापस लिए जाने की किसी भी संभावना से इनकार करते हुए कहा है कि वह इस बारे में समय के साथ दिशा-निर्देश जारी करेगी।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) में सचिव पी के चौधरी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘नियम बनाए जाएंगे, जो कैबिनेट द्वारा लिए गए फैसले का जवाब देंगे।’ तमिलनाडु, कर्नाटक और ओड़िशा में दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान कमोबेश बंद रहे। पटना में कई निजी स्कूल भी एहतियाती कदम के तहत बंद रहे। बिहार में सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने जहां बंद का समर्थन किया है, वहीं कांग्रेस और लोक जनशक्ति पार्टी ने इसका विरोध किया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वह बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति नहीं देंगी। फेडरेशन आफ एसोसिएशंस आफ महाराष्ट्र के अध्यक्ष मोहन गुरनानी ने कहा, ‘मुंबई और नवी मुंबई में बंद को अच्छा समर्थन मिला। कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) ने बंद का समर्थन किया। अनाज, फल एवं सब्जी, प्याज और आलू के अलावा किराना दुकानें बंद रहीं।’ खंडेलवाल ने कहा कि इस क्षेत्र में किसी तरह के विदेशी निवेश की जरूरत नहीं है। सरकार को इस फैसले को वापस लेना चाहिए। सीएआईटी के महासचिव ने कहा कि भारतीय खुदरा क्षेत्र बेहतर तरीके से आगे बढ़ रहा है। यह सालाना 15 फीसद की दर से बढ़ रहा है और सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 10 फीसद का है।
मालूम हो कि बंद का आह्वान करने वाले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) की बुधवार को जारी विज्ञप्ति में दावा किया गया था कि महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, उत्तराखंड, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा सहित सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में व्यापारी गुरुवार को एक दिन का व्यापार बंद रखेंगे।
First Published: Friday, December 2, 2011, 11:05