Last Updated: Tuesday, April 10, 2012, 15:10
भुवनेश्वर : ओडिशा में माओवादियों द्वारा बंधक बनाए गए दो लोगों के मामले में समय सीमा मंगलवार को समाप्त होने के बीच ऐसा लगता है कि राज्य सरकार ने अपहर्ताओं की नई मांगों पर अपना रुख सख्त कर लिया है। इस मामले में समस्या उस समय बढ़ती दिखी जब राज्य पुलिस ने बीजद विधायक झिना हिकाका और इटली के नागरिक पाओलो बोसुस्को की रिहाई के एवज में कट्टर चरमपंथियों को छोड़ने पर निक्सल विरोधी अभियान का बहिष्कार करने की धमकी दी है।
बहरहाल, इटली के अपहृत नागरिक की रिहाई के बदले सब्यसाची पांडा की पत्नी सुभाश्री दास उर्फ मिलि पांडा की रिहाई की मांग पर सरकार ने सहमति जताई है और इधर, गुनुपुर की एक त्वरित निपटान अदालत ने सुभाश्री दास उर्फ मिलि पांडा को बरी कर दिया। उनपर रायगडा जिले में नक्सलियों और सुरक्षाबलों के बीच गोलीबारी में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। सुभाश्री के वकील ब्रह्मानंद पटनायक ने कहा कि साक्ष्य के अभाव में अदालत की ओर से बरी किए जाने के तत्काल बाद सुभाश्री को मुक्त कर दिया गया। अपहर्ताओं ने हिकाका की रिहाई के एवज में तत्काल 30 कैदियों को रिहा करने की मांग की है।
बोसुस्को की रिहाई के संबंध में नक्सलियों ने यह स्पष्ट करने को कहा है कि इटली के नागरिक की रिहाई के एवज में कितने कैदियों को छोड़ा जा रहा है और उनके नाम क्या हैं। राज्य सरकार हालांकि इन मांगों के आगे झुकती नहीं दिख रही है और उसने दोनों माओवादी गुटों से जेल में बंद लोगों के संबंध में जमानत याचिका दायर करने को कहा है जिसमें उनको जल्द से जल्द रिहा करने की मांग हो। गृह सचिव यूएन बेहेरा ने कल रात कहा कि सरकार विधायक को मुक्त करने के एवज में 23 लोगों को रिहा करने पर सहमत हो गई है जिसमें चासी मुलिया आदिवासी संघ के 15 सदस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जेल से रिहा करने में अदालत से जुड़ी प्रक्रिया को पूरा करना होता है, इसलिए कैदियों को जमानत याचिका दायर करनी चाहिए।
गृह सचिव ने कहा कि इटली के नागरिक को मुक्त करने के एवज में जिन लोगों को छोड़ने की मांग की गई है, उनके संबंध में भी जमानत याचिका दायर करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अपहृत दोनों लोगों को बिना कोई नुकसान पहुंचाए रिहा कर दिया जाएगा।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 10, 2012, 20:41