Last Updated: Saturday, August 6, 2011, 12:36


- ओबामा
आर्थिक मंदी के सुगबुगाहट के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रेटिंग तय करने वाली एजेंसी की प्रक्रिया पर ही सवाल उठाया दिया है. ओबामा प्रशासन ने क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के आर्थिक मॉडल को चुनौती दी. ओबामा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एसएंडपी के विश्लेषण में कई खरब डॉलर को नजरअंदाज किया गया है. ताजा समाचार में अमेरिका को क्रेडिट रेटिंग एएए+ से घटाकर एए+ कर दी है.
अमरीका के बढ़ते बजट घाटे की चिंताओं के बीच एजेंसी ने कहा है कि मंगलवार को कर्ज़ की सीमा बढ़ाने का विधेयक पारित हो जाना पर्याप्त नहीं था. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमरीका के वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है, "इस आकलन में दो करोड़ ख़रब डॉलर की ग़लती है और वही अपने आपमें बहुत कुछ कहता है."
यह अमेरिका के 95 साल के इतिहास में कर्ज संकट का ऐसा नतीजा पहली बार देखने को मिला है. इसके साथ ही दुनिया की इस सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश में मंदी की आहट का डर और गहरा गया है. इससे पहले चीन की एक एजेंसी ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटा दी थी. इसका मतलब यह हुआ कि अमेरिका को किसी भी तरह का कर्ज देना पहले से ज्यादा जोखिम भरा हो गया है. दूसरे शब्दों में कहें तो कर्ज लौटाने की उसकी क्षमता पहले से कम हो गई है.
इधर भारत में भारत में भी शेयर बाज़ार ने शुक्रवार को लंबा गोता लगाया और एक बार तो सूचकांक का आंकड़ा 17 हज़ार से भी नीचे चला गया था. आख़िर वह 387.31 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ.
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग गिरने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि हालात गंभीर है. उन्होंने कहा, 'हमें यह आकलन करना होगा, जिसमें थोड़ा वक्त लगेगा. अभी जल्दबाजी में कोई टिप्पणी करना सही नहीं है. हमें देखना होगा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के संकट का भारत पर क्या असर होता है. ऐसे हालात से निपटने के लिए दुनिया भर के नेताओं को विचार-विमर्श करना चाहिए”.
वहीं बराक ओबामा ने अपने संबोधन में कहा, ''मैं चाहता हूं कि अमरीकी नागरिक और दुनियाभर में हमारे सहयोगी देश इस बात को समझें कि अमरीका इस मुश्किल दौर से बाहर आएगा. चीज़ें बेहतर होंगी और हम मिलकर इसके सामना करगे.''
First Published: Saturday, August 6, 2011, 18:11