‘कर्नाटक में बगैर भूमि सुधार खनन कार्य नहीं’

‘कर्नाटक में बगैर भूमि सुधार खनन कार्य नहीं’

‘कर्नाटक में बगैर भूमि सुधार खनन कार्य नहीं’
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि कर्नाटक में भूमि सुधार और पुनर्वास के उपायों पर पूरी तरह अमल के बगैर लौह अयस्क की खदानों में खनन कार्य शुरू करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। न्यायमूर्ति आफताब आलम, न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की विशेष खंडपीठ ने कहा कि आप खनन गतिविधियां शुरू करने के लिए उस समय तक जोर नहीं दें जब तक हम संतुष्ट नहीं हो जाएं कि वहां कानून का पालन हो गया है।

खनन की गतिविधियां उस समय तक शुरू नहीं होंगी जब तक भूमि सुधार और पुनर्वास के उपायों पर पूरी तरह अमल नहीं हो जाता। विशेष खंडपीठ ने 16 अगस्त को शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कर्नाटक में अधिकारियों से कहा था कि वे इन सुझावों पर अमल के लिए पूरा सहयोग करें।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि इन सिफारिशों पर अमल होने तक इस क्षेत्र में खनन गतिविधियां शुरू करने के लिए किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है। इन सिफारिशों पर विचार के लिए खदान क्षेत्र के सभी दखलदारों की इस सप्ताह एक बैठक भी हुयी थी। न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति को निर्देश दिया कि खदान क्षेत्र में भूमि सुधार और पुनर्वास के उपायों पर अमल और खनन कार्य शुरू करने की आवश्यक अनुमति के लिए अब तक किये गए उपायों के बारे में दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करे।

न्यायालय ने अधिकार प्राप्त समिति से समाज परिवर्तन संगठन के वकील प्रशांत भूषण के इन दावों पर भी गौर करने के लिए कहा है कि ‘ए’ श्रेणी की खदानों का परिचालन कर रहे लोगों ने अनेक अनियमितताएं की हैं और पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाया है। उनका कहना था कि इनमें से अधिकतर खदानें वन क्षेत्र में हैं। (एजेंसी)

First Published: Friday, August 17, 2012, 20:46

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